प्यारी बहना की चुदास बुझाई - 4 - Bahan Bhai Family Sex Story

  प्यारी बहना की चुदास बुझाई - 3

मेरी बड़ी बहन ज्योति एक और अपने भाई के साथ काम वासना में आनंद उठा रही थी, तो दूसरी और उसका मन कहीं और भी जा रहा था। ज्योति और सतीश एक हफ्ते अपने घर में ही मजे लेने वाले थे, चूंकि हम दोनों के पापा और मम्मी किसी काम से पैतृक गांव जाने वाले थे।

हम दोनों भाई और बहन अकेले अपने घर में रहने वाले थे। ज्योति घर में अकेली थी, जब मैं पापा और मम्मी को छोड़ने कानपुर सेंट्रल स्टेशन गया था, शाम की ट्रेन में दोनों को आरक्षित श्रेणी में बिठा कर मै घर की और चल दिया।

मै घर तकरीबन ०८:०० बजे पहुंचा, आज दिन में कालेज की क्लास और फिर स्टेशन जाकर दोनों को छोड़ना, काफी थकावट महसूस कर रहा था और घर घुसते ही मैं बोला।

मैं – ज्योति एक कप काफी जरा बना देना।

ज्योति मुस्कुराते हुए बोली – तुम भी ना सतीश, अभी काफी पीने का वक़्त है क्या? चलो जा फ्रेश हो कर आयो और खाना खा लो, उसके बाद फिर तुम सो जाना।

मै खुद किचेन में चला गया और कॉफी बनाने लग गया, तभी पीछे से ज्योति आकर मुझे दबोचने लग गयी और अपने मुलायम चूची को मेरे पीठ से रगड़ने लग गयी। तो मै सर पीछे घुमाकर उससे बोला।

मैं – इतनी थकावट में काफी की जगह तुम मुझे जकड़ रही हो?

ज्योति मुझे गर्दन चूमने लग गयी और बोली – सो क्या, इतनी जल्दी मेरे से मन भर गया तुम्हारा?

सतीश – नहीं रे, इससे भी कभी किसी का मन भरा है क्या?

तभी मैं काफी ले कर कमरे में आया, तो ज्योति एक कप काफी को दो कप में करके ले आयी। फिर हम दोनों डायनिंग हाल में बैठकर काफी पीने लग गये। ज्योति पीले रंग के नाइटी में मस्त दिख रही थी, तो मेरा ध्यान उसके बूब्स पर जा रहा था।

ज्योति – एक हफ्ते तक हम दोनों बिंदास मस्ती करेंगे, ना कोई देखने वाला और ना हि कोई रोकने वाला।

मै ज्योति के दाहिने बूब्स को पकड़ दबाने लग गया और मैं बोला – जरूर ज्योति, घर में साडी जरूरत की सामान मैं कल ही ला कर रख दूंगा, फिर उसके बाद हम दोनों को घर में ही मजा करना है।

हम दोनों का काफी पिना हो गया था, तो मै उसके स्तन को पुचकारते हुए मस्त होने लग गया। तभी ज्योति मेरी शर्ट के बटन को खोलने लग गयी, तो मै उसके करीब होकर उसकी गर्दन को चूमने लग गया।

मुझे उसके बालो से शैंपू की सुगंध आ रही थी। अब मै ज्योति को बाहों में लेकर चूमने लग गया, उसकी बाईं चूची मेरे सीने से लग रही थी, तो ज्योति मेरे से चिपकने को आतुर हो रही थी। मेरे होंठ उसके चेहरे और होंठ को चूम रहे थे, और उसके हाथ का एहसास अपने जींस पर पा रहा था।

ज्योति मेरे जींस को खोलने में लीन थी, तो मै उसके रसीली होंठो को चूसता हुआ। उसके बूब्स को सहला रहा था। दोनों निर्भीक होकर अपने ही घर में एक दूसरे से लिपटे हुए थे, तब तक मेरी शर्ट और जींस खुल चुकी थी।

ज्योति अपने होंठ को स्वतंत्र करके अपनी लम्बी सी जीभ मेरे मुंह में दे रही थी, और मै ज्योति दीदी की जीभ को चूसता हुआ उसके हाथ का एहसास अपने लंड के उभार पर पा रहा था। दोनों की आंखे बंद थी, और सांसे आपस में टकरा रही थी।

फिर मैं ३-४ मिनट तक ज्योति दीदी की जीभ को चूसता रहा, वो मेरे चेहरे को पीछे धकेल कर अपनी जीभ को मेरे मुंह से निकालने लग गयी। अब उसने मेरी छाती पर अपना सर रख दिया।

ज्योति – पता नहीं जब भी तुम्हे देखती हूं मन डोलने लगता है।

सतीश – कोई बात नहीं, एक बार अपने आशिक या बॉयफ्रेंड से चुद लोगी तो मेरे से ध्यान हट जाएगा, वैसे भी हम दोनों की ये प्रेम दास्तां कुछ साल की ही तो है।

ज्योति अपना चेहरा मेरी और करते हुए बोली – क्यों मेरी शादी होने के बाद तुम मुझे मजे नहीं दोगे?

सतीश – क्यों नहीं।

फिर ज्योति को मै अपने गोद में उठाकर बेडरूम में ले गया, और मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया। वो नाइटी में बहुत मस्त दिख रही थी, तो मै उसके करीब बैठकर उसके नाइटी को ऊपर की और करने लग गया।

तो ज्योति समझदार लड़की की तरह अपनी नाईटी को अपने बदन से निकालने लग गयी। उसके दोनों नग्न बूब्स खूबसूरत लग रहे थे, तो उसका सपाट पेट नाभि तक चमक रहा था। लेकिन चूत पेंटी में ही थी, और मै उसके बदन पर हाथ फेरने लग गया।

उसके गोलाई को मसलता हुआ, मैं उसके स्तन पर झुका। तो ज्योति अपना स्तन पकड़ कर मेरे मुंह में भरने लग गयी। उसके स्तन का २/३ हिस्सा मेरे मुंह में था, तो मै उसकी चूची को चूसता हुआ उसके दूसरे चूची को दबाने लग गया।

उसके मुंह से ओह आह ऊं जैसे शब्द निकल रहे थे, और मेरा लंड कच्छा के अंदर टाईट हो चुका था। तभी ज्योति मेरे चूतड़ को सहलाने लग गयी, और वो धीरे से मेरा कच्छा को उतारने लग गयी।

अब मैं उसके दूसरे स्तन को चूसता हुआ, उसके दुसरे चूसे के निपल को मैं उंगली में लेकर मसलने लग गया। इससे ज्योति अपने दोनो पैर को एक दूसरे से रगड़ रही थी, पल भर तक मैंने उसकी चूची को चूसा।

फिर मैं वाशरूम चला गया, वहां मैंने अपना कच्छा को खोलकर रख दिया और मैं पेशाब करके लंड को धोने लग गया। फिर मैं वापस कमरे में नंगा ही आया, तो ज्योति मेरे लंड को देख बेड पर उठकर बैठ गई।

अब जब मै बेड पर बैठा तो, उसने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया। और वो मेरे लंड को हाथ में पकड़ने लग गई, धीरे धीरे लंड को हिलाते हुए उसने अपना चेहरा मेरे लंड पर झुकाया। फिर उसने मेरे लंड को चुसना शुरू कर दिया।

वो मेरे लंड को अपने होंठो से रगड़ रही थी, जिससे मेरा बुरा हाल हो रहा था। मै अब अपना हाथ आगे करके उसके सीने से लग गये स्तन को पकड़ने लग गया, और मैं धीरे धीरे उसके बूब्स को दबाने लग गया।

तो ज्योति ने मुझसे नजर मिलते हुए अपना मुंह खोला, और उसने मेरे पुरे लंड को अपने मुंह में भर लिया। अब वो मेरे पुरे लंड को चूस रही थी, और मेरा लंड और ज्यादा सकत हो गया था। तभी ज्योति मेरी झांटो में हाथ घुमाते हुए, मेरे लंड को मुंह से धके देने लग गयी।

मेरा लंड अब लोहे की सलाख़ बन चूका था, फिर मैं चिलाते हुए बोला – अरे मादरचोद रंडी मेरा लंड अपने मुंह में हि खलास करेगी क्या? और फिर क्या तेरा बाप तुझे चोदेगा?

फिर कुछ देर और उसने मुख्मेथुन किया, फिर ज्योति ने गीले लंड को मुंह से बहार निकला। फिर वो मेरे गीले लंड को अपनी जीब से चाटने लग गयी। अब मेरा मन उसे चोदने का था, पर वो साली अभी भी मेरा लंड चाटे जा रही थी।

फिर कुछ देर बाद वो बाथरूम में चली गयी, मैं बेड पर लेटा हुआ उसका इंतज़ार कर रहा था। फिर कुछ देर बाद वो बेड पर आ कर बैठ गयी, फिर मैंने लेटाया और मैं उसकी कमर के पास बैठ गया।

फिर मैंने ज्योति के चूतडो के निचे एक तकिया रख दिया। ज्योति की चूत अभी उसकी पंटी में कैद थी, फिर मैंने उसकी चिकनी मोटी जांघ को चुमते हुए उसकी चूत पर हाथ लगाने लग गया। फिर मैं पंटी के उपर से ही उसकी चूत को ऊँगली से मसलने लग गया।

ज्योति – अबे हरामी कम से कम मेरी पंटी तो उतर दे, और मेरी चूत को चोद ना की उसको मसल।

पर मैं ज्योति को गरम कर रहा था, फिर उसकी दूसरी जांघ को चूमने लग गया। इससे वो अपनी चूत को हवा में उचकाने लग गयी। फिर मैं उसकी पंटी को निचे करने लग गया, पर उसने अपनी दोनों जांघों को एक साथ चिपका लिया।

ताकि मैं उसकी चूत के दर्शन न कर सकूं। फिर मैं सीधा उसकी कमर पर झुका और चुमते हुए मैं उसको कस कर पकड़ने लग गया। कुछ देर तक मैं उसकी कमर को चूमता रहा, तो ज्योति अपनी दोनों को जांघों को दोनों दिशा में करके अपनी चूत मुझे चमकाने लग गयी।

उसकी गदेदार चूत हीरे की तरह चमक रही थी, तो मैं अपनी लगाकर उसकी चूत को फैला रहा था। अब मैं झुककर उसकी चूत के आंतरिक हिस्से को देखने लग गया, वैसे भी ज्योति इतना नहीं चुदी थी, कि मुझे उसकी चूत का आंतरिक भाग पूरी तरह से दिख जाये।

ज्योति – अरे बहन चोद क्या खोज रहा है मेरी चूत में।

तो फिर मै चूत में जीभ घुसा कर उसकी चूत को चाटने लग गया, फिलहाल मेरा लंड कड़े लोहे की तरह था। फिर भी वो मेरे काबू में था, सो मैं उसे अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदने मस्त था

ज्योति अपनी चूतड़ को ऊपर की और करते हुए खुद ही अपनी चूची दबा रही थी। मै कुत्ते की तरह उसकी चूत को लपालप चाट रहा था।

ज्योति- उह ओह उम आह लगता है चूत का रस निकाल कर ही चोदेगा।

तो मै चूत को मुंह में भर कर लेमंचूस की तरह चूसने लग गया, कुछ देर बाद ज्योति बोली।

ज्योति – आह मेरा चूत ओह पानी फेकेगी अब ले पि इसे।

फिर उसकी चूत का रस मेरे मुंह में आ गया, तो मै ज्योति दीदी की चूत के रस को पीकर चूत को चाटने लग गया। वैसे भी मै ज्योति की चूत का मूत्र बियर में मिलाकर पी चुका था।

रात्रि के ०९:२५ हो चुके थे, और हम दोनों अब अपने काम क्रीड़ा कि आखरी तैयारी में लग गए। ज्योति वाशरूम जाकर अपनी चूत को साफ करने लग गयी, और मूत्र क्रिया करके बेड पर आ गयी।

फिर ज्योति दीदी अब बेड पर लेटकर अपने चूत को सहलाने लग गयी, तो मै अपना लंड हाथ में लिए उसको दिखा रहा था। इतने में मेरा मोबाइल बज उठा और पास पड़े टेबल पर हाथ लगाकर मोबाइल लिया। फिर मैं मम्मी से बात करने लग गया।

माँ – ट्रेन खुले आधा घंटा हो गया, तुम घर पहुंचे की नहीं अभी तक?

सतीश – हां माँ, सब ठीक है और ज्योति दीदी अपने कमरे में पढ़ाई कर रही है।

मम्मी – ठीक है वक़्त पर खाना खा लेना और ज्योति का ख्याल रखना।

मै तो ज्योति दीदी का पूरा ख्याल रख रहा था, अब बाते बंद हुई तो मै ज्योति दीदी के दोनों मोटे जांघों के बीच लंड पकड़े बैठ गया। ज्योति अपने चूतड़ के नीचे अब भी तकिया रखे हुई थी, ताकि दोनों का ओज़ार आमने सामने आ जाये।

अब मैं ज्योति दीदी की चूत के दरार पर सुपाड़ा रगड़ने लग गया, तो वो उंगली की मदद से चूत फैलाने लग गयी। धीरे धीरे सुपाड़ा सहित १/३ लंड मैंने चूत में घुसा दिया, और फिर एक तेज झटका चूत में दे दिया। अब मेरा मूसल लंड चूत में था तो ज्योति चिंख उठी और बोली।

ज्योति – बाप रे बाप मेरी चूत को फ़ाड़ के ही दम लग गया क्या? धीरे चोद ना भाई।

मैं ज्योति दीदी को चोदते हुए बोला – धीरे धीरे चोदूंगा साली तो तू अपनी सहेली को सुनाओगी की मेरे भाई के लंड में जान नहीं है, अब चुप चाप चुद आराम से।

और फिर मेरा लंड ज्योति की चूत को चीरता हुआ चूत की गहराई तक जा रहा था। वैसे भी ये मर्द जाति की एक भूल ही है, कि वो सोचता है कि मैंने चूत की गहराई तक में अपना लंड पेलकर चुदाई की है।

लेकिन ये हकीकत है कि लड़की हो या महिला, उसकी चूत की गहराई चुदाई के बाद बढ़ती ही जाती है। अब ज्योति की चुदाई करते हुए, मैं उसके जिस्म पर सवार हो गया था। तो मेरी चुद्दक्कर बहन मेरे होंठ को चूमते हुए, मेरी कमर को कसकर पकड़ रही थी।

और वो अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करने लग गयी, वाकई धीरे धीरे चुदाई में वो एक्स्पर्ट हो रही थी। मेरी छाती उसके स्तन का एहसास पा रही थी, ज्योति की चूत में लंड पेल पेल कर मैंने चूत को आग की भट्टी बना दिया।

ज्योति अब शांत लेट कर चुद रही थी, फिर अचानक वो चिंख्ने लग गयी और वो बोली – सतीश अब चूत में आग लग गयी हुई है, प्लीज़ रस झाड़ दो ना।

मैं उसके होंठ चुमते हुए बोला – अभी वक्त लगेगा तो एक ब्रेक लेते है।

फिर मै ज्योति के जिस्म पर से हट गया और मूतने चला गया। जबकि ज्योति बिस्तर पर नग्न लेटी हुई थी, मै अब डायनिंग रूम गया और रेफ्रजिरेटर से एक मख्खन कि टिकिया को निकाला और वापस आ गया।

ज्योति टांग चिहारे चूत बिचकाए लेटी हुई थी, मुझे देख कर वो बोली – क्या अब बहन की चूत को मक्खन लगाकर चोदोगा?

सतीश – जरूर, इससे चूत की गर्मी भी इससे शांत पड़ेगी और तुमको भी चुदाई में मजा आएगा।

फिर मै ज्योति की चूत के सतह पर बटर की टिकिया रगड़ने लग गया, वो खुद ही चूत को फैला कर मै बटर की टिकिया को अंदर घुसाने लग गया। ताकि बटर चूत की गर्मी से पिघल कर अंदर के मार्ग को चिकना और गिला कर दे।

आखिरी में मै चूत के अंदर टिकिया घुसकर अपना चेहरा चूत पर झुकाया, और चूत को जीभ से लपा लप चाटने लग गया। मुझे चूत चाटने में बेहद आनंद मिलता है, और कुछ देर बाद उसकी बूब्स को भी मसलने लग गया।

अब ज्योति की चुदाई होने वाली थी, सो मैंने उसको बेड पर कोहनी और घुटने के बल कर दिया। ज्योति बिल्कुल कुतिया की माफिक बेड पर थी, तो मै उसके चूतड़ के सामने लंड पकड़ कर बैठ गया।

ज्योति अब मुझे निहार रही थी, तो मै उसकी चूत में लंड घुसाने लग गया। मेरा पूरा लंड आराम से ज्योति की चूत निगल गई, और मै उसकी कमर को पकड़कर तेज चुदाई करने लग गया। चूत का रास्ता चिकना था और लंड पूरी गति से चुदाई कर रहा था।

तो ज्योति दीदी भी अब अपने चूतड़ को आगे पीछे करने लग गयी, अब वो भी चुदाई का मजा वो बढ़ा रही थी। तो मै उसको चोदता हुआ, उसकी चूची दबाने लग गया।

ज्योति – और तेज चोद साले तेज फ़ाड़ मेरी चूत तू ही तू मेरी चूत की खुजली मिटा सकता है।

अब मेरा हाल खराब था और अब मेरा लंड आत्मसमर्पण करने को तैयार था, तो ज्योति अपना चूतड़ हिला डुलाकर चुदाई का मजा ले रही थी। अब उसकी चूत में भी सुखाड़ था और मेरा लंड भी आग हो चुका था।

फिर मै चिख उठा और मै बोला – ये ले साली चुद्कड मेरा निकल रहा है।

और मेरा लंड चूत में वीर्य गिराकर शांत पड़ गया, हम दोनों थक चुके थे। फिर हम दोनो एक दूसरे से अलग हुए और ज्योति मेरा लंड चूसकर वीर्य का स्वाद लेने लग गयी।

ज्योति और मै दोनों नग्न अवस्था में ही थककर सो गए, रात के १०:३० बजे दोनों को गहरी निद्रा सो गये थे। तो हम दोनों बिना खाना खाए ही बेड पर निढाल हो गए। फिर देर रात तकरीबन ०१:०० बजे मेरी नींद खुली, तो मेरा लंड मुरझाया हुआ था।

और ज्योति दीदी करवट लिए सो रही थी, कुछ देर तक मै उनको घूरता हुआ उनकी पीठ और चूतड़ को सहलाता रहा। फिर ज्योति दीदी ने चित होकर आंखें खोली और वो बोली।

ज्योति दीदी – क्या कर रहे हो जानू, बहुत गर्मी लग रही है चलो स्नान करते है।

मैं ज्योति दीदी के स्तन को पुचकारते हुए बोला – हां चलो ना, साथ में स्नान करेंगे फिर खाना भी खाना है।

तो ज्योति मेरे साथ वाशरूम घुसी, फिर हम दोनों झरने के नीचे जमीन पर बैठ गए। झरने से पानी दोनों के बदन पर गिर कर बदन को गीला कर रहा था। ज्योति और मै दोनों आमने सामने अपने चूतड़ को जमीन पर रखकर आराम से बैठे हुए थे, तो ज्योति दीदी मेरे छाती को सहला रही थी और मै उसके मुलायम चूची को दबा रहा था।

दोनों का बदन पानी से भिंग गया तो मैंने झरने को बंद करके एक बॉडी शैंपू लिया, और फिर बैठकर ज्योति के गले से चूची तक शैंपू लगाने लग गया। वो मेरे छाती से कमर तक शैंपू लगाते हुए मेरे बदन की मालिश कर रही थी।

उसके चिकने बदन पर शैंपू लगाता हुआ, मैं उसके चूची को मसलने लग गया। तो वो अब मेरे जांघ से लंड को शैंपू से सराबोर करके, मेरे लंड को हाथ में लेकर धीरे धीरे हिलाने लग गई। लंड २ १/२ घंटे से आराम कर रहा था।

तो उसमें जान आने लग गयी और मैने अब ज्योति दीदी की बुर पर शैंपू लगाकर बुर को झाग युक्त कर दिया। दोनों के बदन का अगला हिस्सा झाग से ढका हुआ था, और वो मेरे लंड को पकड़ हिलाते हुए मस्त हो रही थी।

तो मै ज्योति दीदी की चूत में एक उंगली करके बुर को कुरेदने लग गया, शैंपू बुर के अंदर पेल रहा था ताकि बुर को अंदर से साफ कर सकूं। अब ज्योति दीदी मुझे मुड़ने को बोली तो मै पीछे की ओर घूम गया, और ज्योति मेरे पीठ से लेकर चूतड़ तक शैम्पूक से मालिश करने लग गई।

कुछ देर बाद मैने ज्योति को खड़ा होने बोला और अब वो खड़ी हो गयी, तो मै उसके पीछे खड़ा होकर उसके बदन की मालिश सहित शैंपू से सफाई करने लग गया। दोनों अब आमने सामने नग्न अवस्था में खड़े थे।

फिर मैंने झरने को खोला और अब दो जिस्म एक दूसरे से लिपटकर स्नान करने लग गये, मेरा लंड अब अर्ध रूप से खड़ा हो चुका था। तो मै ज्योति दीदी की चूतड़ को सहला रहा था और तभी ज्योति मेरे ओंठो को चूमने लग गई।

तो मै ज्योति की चूत में उंगली पेलकर बुर को कुरेदने लग गया, और ज्योति मेरे ओंठ को मुंह में लेकर चूसने लग गई। दोनों के बदन पे पानी गुजर रहा था, तो अब दो बदनो मे आग और ऊपर से पानी आ रहा था।

ऐसे दोनों का स्नान हो रहा था, मैं तो ज्योति दीदी कि बुर को उंगली से चोदता हुआ मस्त था। मेरा लंड अब असली रूप में आने लग गया, कुछ देर के बाद दोनों एक दूसरे से अलग हुए। अब दोनों का बदन साफ हो चुका था, और फिर दोनों एक दूसरे के गीले बदन को तौलिए से साफ करने लगे।

अब दोनों नग्न अवस्था में ही कमरा में आए और फिर ज्योति किचेन से खाना लेकर आई। तो वहीं हम दोनों खा लिया और हाथ मुंह धोकर नग्न ही एक साथ सो गए।

कुछ देर के बाद दोनों गहरी निंद्रा में चले गए और सुबह ज्योति की नींद पहले खुली। लेकिन मै अभी तक सो रहा था, मेरी आंखें तब खुली जब मुझे अपने गाल पर चुम्बन का एहसास हुआ। मानो मै सपना देख रहा था, आंखें खुली तो ज्योति मेरे चेहरे के करीब बैठी हुई थी।

मेरा लंड खड़ा होकर मानो ज्योति दीदी को सलामी दे रहा था, तभी मै पास पड़े चादर से लंड को ढक लिया और उठकर बोला।

मैं – एक चाय बना दो ना।

ज्योति शायद स्नान ध्यान करके तैयार थी, फिर वो उठकर चली गई। तो मै वाशरूम जाकर फ्रेश हुआ और फिर अपने रूम में आकर बरमूडा पहन लिया। सुबह के ०९:०० बज रहे थे तो डायनिंग हाल में बैठकर मैं ज्योति दीदी के साथ चाय पीने लग गया, फिर ज्योति दीदी मुस्कुराते हुए बोली।

ज्योति दीदी – दिन में खाना क्या बनाऊ?

सतीश – मैं खाना बाहर से लेकर आ जाऊंगा।

ज्योति थोड़ा शरमाने लग गई और बोली – ओह मतलब दिन भर फुलटास आराम।

सतीश – जरूर।

और कुछ देर बाद घर में काम करने के लिए दाई आ गई, चाय पीने के बाद मै तैयार हुआ और मैंने ज्योति दीदी से पूछा।

मैं – मै बाज़ार जा रहा हूं, खाने का आर्डर कर दूंगा तो खाना दोपहर में घर पहुंचा देगा और आप भी कुछ मंगवाना है तो मुझे बता दो।

ज्योति – हां, कोई गर्भनिरोधक गोलियां ले लेना ताकि।

सतीश – ठीक है।

मै घर के पास वाले बाज़ार गया और फिर वहां के एक रेस्तरां में जाकर खाने का ऑर्डर किया। फिर थकावट दूर करने के लिए दो बोतल बियर खरीदी, लेकिन दवाई दुकान पर जाकर चुप चाप खड़ा हो गया।

चूंकि वहां दो तीन लोग और थे, इसलिए गर्भनिरोधक दवाई मांगने में मुझे शर्म आ रही थी। फिर एक स्टाफ मुझसे पूछा और वो बोला – हां भैया, क्या लेना है?

सतीश धीरे से बोला – वो गर्भनिरोधक गोली “टुडे” लेनी है।

फिर उसने मुझे दवाई का एक पैकेट दिया और मै एक पॉलीथिन बैग में बियर और पॉकेट में गोली रखे घर की ओर चल पड़ा। घर में दाई काम कर रही थी तो बियर का थैला छुपाकर अंदर करना था, ताकि उसकी नजर उस पर ना पड़े।

मै घर के अंदर दाखिल हुआ और सीधे अपने रूम जाकर थैला को टेबल पर रख दिया, अब बाहर निकला तो ज्योति अपने रूम में लेटी हुई थी। और दाई किचन में काम कर रही थी, अब मैं उसके जाने का इंतज़ार था।

मैं ज्योति दीदी को निहारता हुआ बोला – खाने का ऑर्डर कर दिया, १:३० बजे खाना पहुंच जायेगा।

ज्योति लेटे हुए बोली – लेकिन सतीश थकावट बहुत हो रही है।

सतीश – कोई बात नहीं, दाई को जाने दो तेरे बदन की मालिश कर दूंगा।

ज्योति – चुपकर साले तेरा मालिश सब समझती हूं, तू तो।

सतीश – चल फिर दूसरा उपाय भी है, बियर पी लेना।

फिर मै उसके रूम से बाहर निकला तो दाई किचन से बाहर निकलते हुए मुझे बोली।

दाई – भैया, आज शाम मैं नहीं आ सकती, मुझे कुछ काम है।

फिर वो चली गई तो मैने घर का दरवाजा बंद किया, और बियर को रेफ्रिजरेटर में रख कर अपने रूम में लेट गया। अब मेरा ध्यान ज्योति पर था, लेकिन मै उससे सटने वाला नहीं था। वो क्या करेगी मैं वो हि जानने वाला था।

तकरीबन आधे घंटे के बाद ज्योति मेरे रूम में आई, तो वो मेरे बेड पर बैठ कर बोली।

ज्योति – चल बियर पीते हैं।

तो मै उठा और दोनों डायनिंग हाल में आकर सोफ़ा पर बैठ गये, फिर मै बियर की एक बोतल टेबल पर रख कर किचन की ओर गया। फिर मै ग्लास लेकर आया तो मैंने देखा कि, ज्योति आसमानी रंग के फ्रॉक में खूबसरत दिख रही है।

उसके जांघ के कुछ हिस्से नग्न थे, और वो पैर पर पैर चढ़ाकर बैठी हुई थी। मै भी उसके पास में बैठा और फिर दोनों ग्लास में बियर डालने लग गया। ज्योति मेरी ओर खिंसक रही थी, तो मै उसके काफी करीब आ गया था।

अब दोनों के कंधा सटने लग गये और जांघें आपस में टकरा रही थी। फिर दोनों बियर पीने लगे, ज्योति के फ्रॉक का डीप गला चूची के कुछ भाग को प्रदर्शित कर रहा था। दोनों एक एक ग्लास बियर पीने के बाद एक दूसरे की जांघों को सहलाने लग गये, और ज्योति अब दूसरा ग्लास बियर पीते हुए मेरे बरमूडा के किनारे में से अपना हाथ अंदर घुसाने लग गयी। वो मेरे लंड को पकड़ कर बरमूडा के कोने से बाहर निकालने लग गयी, और धीरे धीरे उसे सहलाते हुए मस्त होने लग गयी।

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