प्यारी बहना की चुदास बुझाई - 5 - Bahan Bhai Family Sex Story

  प्यारी बहना की चुदास बुझाई - 4

तो मेरा हाथ ज्योति की फ्रॉक में घुस चुका था, और अब पेंटी पर घूमने लग गया। दोनों बियर का आनंद लेते हुए एक दूसरे से मजे ले रहे थे। अब दोनों ग्लास को टेबल पर रखकर एक दूसरे की आंखों में झांकने लग गये।

तो मै ज्योति की बुर को पेंटी पर से ही कुरेद रहा था और वो मेरे बरमूडा को उतारने लग गयी। मैने अपनी बनियान उतार दी, तो ज्योति मेरे सामने खड़ी होकर अपने एक पैर को सोफ़ा पर रख कर खड़ी हो गयी.

मै उसके फ्रॉक को कमर तक करके उसकी जांघों के बीच अपना चेहरा करने लग गया, और पेंटी पर अपना नाक रगड़ने लग गया। अब वो सिसकने लग गई और वो पेंटी खुद ही खोलकर बुर को नग्न करने लग गयी।

मै उसके छेद पर नाक रगड़ने लग गया और वो मेरे बाल को कसकर पकड़ रही थी। अब ज्योति की बुर को मैं चूमने लग गया, तो उसने अपनी फ्रॉक बदन से निकाल दिया। और मै उसकी बुर को उंगली की मदद से फैला कर जीभ से बुर चाटने लग गया।

ज्योति का जिस्म ब्रा के सिवाय पूरा नंगा था, और मै उसकी बुर को चाटता हुआ उसके चूतड़ को सहला रहा था। ज्योति की बुर के अंदर जीभ घूसाकर मैं उसकी बुर का स्वाद ले रहा था, तो मेरा लंड अब खंबे की तरह खड़ा हो गया था।

उसकी बुर की गहराई तक मैं अपनी जीभ को पेल पेल कर मस्त हो रहा था, तो ज्योति बोली।

ज्योति – हाई मै मर गई कुत्ते बुर को कितनी देर तक जीभ से चोदेगा।

तो मै थोड़ा रुका और ज्योति दीदी की बुर को मुंह में भरकर चुभलाने लग गया, अब उसकी दोनो टांगे कांप रही थी, कुछ देर के बाद ज्योति मेरे बाल को पकड़े मेरे चेहरे को पीछे की ओर धकेलने लग गयी।

फिर मै वाशरूम भागा, मूतने के बाद लंड धोकर वापस आया तो ज्योति सोफ़ा पर बैठी हुई थी। अब मै उसके बगल में बैठकर उसकी चूची को दबाने लग गया, तो ज्योति मेरे ओंठ और गाल को चूमकर कर बोली।

ज्योति – आज देर रात तक हम दोनों सिर्फ एक दूसरे के साथ मुखमैथुन का आनंद लेंगे।

फिर मै ज्योति दीदी की चूची पर मुंह लगा कर स्तनपान करता हुआ दूसरा स्तन मसलने लग गया, और ज्योति मेरे लंड को हिलाने लग गई। हम दो जिस्म एक दूसरे के पूरक हो चुके थे, और मै चूची चूसता हुआ उसकी पीठ को सहला रहा था।

ज्योति – उह आह हाई बे मादरचोद चूस साले अपनी बहन की चूची चूस, साले तुम्हे दूध भी पिलाऊंगी ओह बुर में कितनी खुजली है।

ये सुनता ही मै दूसरी चूची मुंह में लेकर चूसने लग गया, और ज्योति की बुर में उंगली पेलकर बुर कुरेदने लग गया। ज्योति की बुर बहुत गरम थी और मुझे अब उसके पानी का इंतजार था, तभी मै जोर जोर से उंगली अंदर बाहर करता हुआ चूची चूसने लग गया।

ज्योति – उह आह अब नहीं सतीश मेरी बुर का रस फेंकने वाली है, अब अपना मुंह लगा मेरी बुर पर।

दोस्तों, ज्योति की चूची चूसकर मै उसकी बुर को कुरेद रहा था, कि तभी ज्योति फिर से बुर चाटने की मांग कर बैठी। और सतीश अब ज्योति की पैरों के सामने जमीन कर बैठा गया, और ज्योति का चेहरा लाल हो चुका था।

उसकी दोनों चूची चुस्वाकर मानो स्ट्रीट की भेपर लाईट हो चुकी थी, तभी उसने ज्योति दीदी की चूतड़ को सोफ़ा के किनारे किया, और उसके दोनों पैर को सोफ़ा पर रख दिया।

ज्योति दोनों पैर ज्योति फैलाकर बैठी हुई थी, तो मै जमीन पर बैठकर उसके मोटे जांघों के बीच अपना चेहरा लगा कर उसकी बुर को चूमने लग गया। फिर ज्योति ने बुर का द्वार खोल दिया, अब ज्योति दीदी की चूत को मैं लपा लप कुत्ते की तरह चाटने लग गया।

ज्योति का हाल खराब था, उसकी चूत गरम और सुखी हुई थी। तो मै बुर के मानसल हिस्से को मुंह में लेकर चूसने लग गया, वो भी कुछ देर के बाद अपने चूतड़ को ऊपर की ओर करने लगी।

ज्योति का हाल खराब था, उसकी चूत गरम और सुखी हुई थी। तो मै बुर के मानसल हिस्से को मुंह में लेकर चूसने लग गया, वो भी कुछ देर के बाद अपने चूतड़ को ऊपर की ओर करने लगी।

फिर ज्योति दीदी कि चूत ने रस फेंक दिया, मै रस का स्वाद लेकर बुर को छोड़ा और फिर जीभ घुसा कार रस को चाटने लग गया। फिर अंत में एक उंगली उसकी बुर में डालकर रस से उंगली को गीला किया, फिर मैं उस उंगली को ज्योति दीदी के मुंह में डालकर बोला।

मैं – चख साली अपनी चूत के रस का स्वाद।

मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा था, लेकिन आज का दिन और रात सिर्फ मुख से प्यार करने का तय हुआ था। चुदाई रहित काम वासना आज होने वाली थी, और वो हि हो रहा था।

तभी ज्योति मेरे पैर के पास बैठी और उसने मेरे लंड को थाम लिया। लंड का चमड़ा टाईट होने की वजह से वो खुद नीचे आ चुका था, और ज्योति मेरे लंड पर होंठ सटाकर चुम्बन देने लगी।

तो मै अपना हाथ ज्योति दीदी के गोलाई पर लगाकर चूची दबाने लग गया, और वो लंड का सुपाड़ा अपने चेहरे पर घुमाने लग गयी। तो मेरा हाल खराब होने लग गया, फिर वो मेरे लंड को मुंह में भरकर चूसने लग गयी।

फिलहाल स्थिर मुख से लंड को चूसा जा रहा था और मै सिसक ले कर बोल रहा था।

मैं – अबे साली अपने सर का झटका दे ना आह।

मेरा लंड उसके मुंह में लंबा और कड़ा होने लग गया। तो ज्योति कुछ देर के बाद मेरे लंड को सर का झटका देते हुए मेरे झांट में उंगली घुमा रही थी। और उसके मुखमैथुन की क्रिया से मेरा लंड अब गरम हो चुका था। ज्योति तेजी से मुख का झटका लंड पर दे रही थी। तो मै भी उसकी चूची को दबा कर मजा ले रहा था, पल भर बाद ज्योति लंड को मुंह से बाहर निकल कर उसे अपनी लम्बी जीभ से चाटने लग गयी।

मेरा जी कर रहा था कि अभी इस साली चूद्दक्कर को चोद डालूं, लेकिन ये संभव नहीं था। तो ज्योति मेरे लंड को छोड़कर वाशरूम चली गई और मै ग्लास में बियर भरने लग गया।

उस वक़्त १२:४० दोपहर का हो रहा था और तभी ज्योति नग्न अवस्था में कमर बलखाते हुए मेरे पास आई, और वो मेरे जांघ पर अपना चूतड़ रख कर मेरे गले में बाहों का हार पहनाने लग गयी।

ज्योति के मांस्ल चूतड़ का एहसास मेरी जांघों को मिल रहा था, तो ज्योति दीदी कि बाईं चूची मेरे सीने से चिपकी हुई थी। तभी ज्योति मेरे होंठो पर अपना होंठ रखकर चूमने लग गयी।

मै उसकी पीठ को सहला रहा था, ज्योति की तेज सांसें मेरी सांसों से टकरा कर हम दोनों कि कामुकता को बढ़ा रही थी। अब ज्योति मेरे होंठो को अपनी जीभ से चाटने लग गयी।

तो मेरा मुंह खुलने लगा और उसकी लम्बी सी जीभ मेरे मुह में आ गयी, मैं उसकी जीभ को चूसते हुए ज्योति के पीठ से लेकर उसके चूतड़ को सहला रहा था।

मेरा लंड गरम हो चूका था, पल भर बाद ज्योति जीभ निकाल कर होंठ को चूमने लग गयी और वो बोली।

ज्योति – अब मैं तेरे लंड का वीर्य पियूंगी।

सतीश – निकलेगा तब तो पियोगी साली।

ज्योति – जरूर, एक बात पूछूं?

सतीश – जरूर जानेमन।

ज्योति – कोई गेर तेरी बहन को चोदेगा तो तुझे कैसा लगेगा?

सतीश – जानू कल तेरी शादी होगी, तो तू अपने पति से ही चुदेगी, तो मुझे उससे क्या दिक्कत होगी भला?

ज्योति – अरे सीधे ये बता, अगर मेरे साथ तेरे अलावा एक और लड़का होगा और।

सतीश – तू पागल हो गई है क्या, किसी लड़के के साथ मजे लेना है तूने तो तेरी मर्जी, लेकिन मै भी रहूं तो वो लड़का क्या सोचेगा?

ज्योति – ये तो है?

मै सोफ़ा पर बैठा हुआ था तभी ज्योति मेरे सामने बैठी और मेरे लंड को पकड़कर अपने मुंह में भरने लग गयी। फिर सर का तेज झटके देते हुए वो मुखमैथुन करने लग गयी।

तो मै ज्योति की पीठ को सहलाने लग गया, उसकी एक चूची को मसलता हुआ मैं मस्त था और मुझे पता था कि जल्द ही मेरे लंड का रस उसकी मुंह में झड़ेगा।

और ज्योति उसको पीयेगी, इसलिए सतीश उसके बाल को कसकर पकड़ कर उसे नीचे से जोर जोर से लंड का झटका उसके मुंह में देने लग गया। ज्योति दीदी की मुख चुदाई का आनन्द लेता हुआ सब कुछ भुला चुका था।

ज्योति के मुंह से कुछ ऐसे स्वर निकल रहे थे – उह ऊं आह।

और मेरे लंड से थोड़ा सा वीर्य निकल गया तो मैने अब ज्योति दीदी की मुख चुदाई बंद कर दी, और ज्योति अब लंड को मुंह में लेकर तेजी से मुखमैथुन करने लग गयी।

तो मै सिसक लेते हुए बोला – आह उह और तेज बे रण्डी चूस ना आज तेरी मुंह में मूतुंगा।

और फिर कुछ देर के बाद मेरे लंड ने उसके मुंह में अपना दम तोड़ दिया, ज्योति लंड से निकले वीर्य को पीकर मस्त हो गई। और वो फिर लंड के सुपाड़ा को चाटने लग गयी।

मै थक चुका था और ज्योति दीदी मेरे लंड पर लगे वीर्य को चाट कर ही मुझे छोड़ कर लेट गयी। फिर दोनों थककर लेट गए


सतीश अपनी बड़ी बहन ज्योति के नग्न बदन से सात दिन तक खेलता रहा, और सच में अब उसे उबन सी होनी लगी थी तो सतीश अपनी बहन से बोला।

सतीश – अब अगले १५ दिन तक हम दोनों एक दूसरे की ओर देखेंगे तक नहीं।

ज्योति – सही है, लेकिन मुझे पता है, कि तुम हि मेरे बदन पर हाथ लगाकर मुझे गरम करोगे।

सतीश – ठीक है तो लगी शर्त, कौन किसको पहले छूता है?

और दोनों फिर सामान्य जीवन जीने लगे, मम्मी पापा के वापस आने पर घर का माहौल बदल गया था। और एक सप्ताह तक सही में हम दोनों एक दूसरे के करीब भी नहीं आए। एक रविवार मै ज्योति दीदी के कमरे में घुसा तो ज्योति अपने कमरे में नहीं थी।

लेकिन मेरी नजर उसकी ब्रा और पैन्टी पर टिक सी गई, बेड पर रखा पीले रंग का जालीदार ब्रेसियर और पैन्टी देख मेरा लन्ड तमतमा उठा। निश्चित रूप से ज्योति वाशरूम में थी और उसकी ब्रा और पेंटी शायद स्नान करने के बाद उसके गुप्तांगों पर सुशोभित होती है।

तभी मै ज्योति के दोनों कपड़े को उठाकर अपने बरमूडा के पॉकेट में रखे, और मैं अपने कमरे में दाखिल हो गया। अब उसकी ब्रा और पैंटी को मैने अपने वार्डरोब में रख दिया और मैं एक किताब लेकर बेड पर लेट गया।

फिर किताब पढ़ते हुए मैं इस इंतजार में था, कि कब ज्योति मेरे पास आकर अपने ब्रा और पेंटी की खबर मुझसे लेगी। लगभग एक घंटे के बाद ज्योति मेरे कमरे में आई, उसने घुटने तक की स्कर्ट और टॉप्स पहन रखी थी।

मै उसे देखकर मुस्कुराया और मैं बोला – आओ ज्योति दीदी, बैठो।

ज्योति – अबे ज्योति दीदी के बच्चे, मेरे कमरे से तूने जो चोरी की है, वो किधर है?

मै – तुम्हारा कमरा मै गया तक नहीं और क्या चोरी हुआ है जरा बताना?

ज्योति एक बेशर्म लड़की की तरह अपनी स्कर्ट को कमर तक उपर करके बोली -सारे कपड़ा सूख रहे है, और जो पहनने के लिए रखी थी वो तुम उठा लाए हो।

उसकी बुर की लालिमा देख मुंह में पानी आ गया और मैं बोला – ज्योति दीदी घर में इस पर कपड़ा डालने की क्या जरूरत है, इसे भी ताजी हवा लगने दो।

ज्योति दीदी स्कर्ट नीचे कर चुकी थी, और इधर मेरा देखते ही टाईट हो गया था।

सतीश – बिल्कुल नहीं बेबी।

फिर ज्योति मेरी कमर के पास बैठकर मुझे देख रही थी, तो वो अचानक से उसने अपना हाथ बढ़ाकर मेरे लंड के उभार को पकड़ लिया और जोर से दबा दिया।

मैं – आऊच ये क्या कर रही हो?

और उसने दुबारा मेरे लंड को पकड लिया, पर अब उसने आराम से बरमूडा के किनारे से बाहर निकाल दिया। अब नग्न लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए मस्त हो रही थी तो मै बोला।

मैं – शर्त तो हार गई बेबी।

ज्योति – तुम अगर मेरी ब्रा और पैंटी इधर नहीं लेकर आते तो फिर मै नार्मल ही रहती। लेकिन हार तुम्हारी हुई है।

मेरा लन्ड खड़ा हो चुका था और ज्योति उसको कसकर थामे हिला रही थी। तभी मै आवेश में आकर उठा और सीधे वाशरूम में मूतने चला गया। मूतने के बाद लंड को धोकर एक तौलिए से साफ किया और मैं अपने कमरे में आया, तो ज्योति बेड के किनारे बैठे मुस्कुरा रही थी।

मैं बोला – मेरे वार्डरोब में तुम्हारा गायब किया हुआ सामान रखा हुआ है निकलो।

ज्योति – अरे तुम गुस्से में क्यों हो।

और ये कहते ही वो मेरे सामने खड़ी हुई, मै कुछ समझ पाता इससे पहले ही उसने मेरा बरमूडा जोर से नीचे की ओर खींच दिया। मेरा टाईट लंड उसके हाथ में था, लेकिन उसकी मंशा तब मुझे समझ में आई।

जब वो बेड पर बैठे मेरे लंड को पकड़ कर सीधा मुंह खोल कर पूरा लन्ड मुंह में भरने लग गयी। ज्योति अब मुखमैथुन की कला में दक्ष हो चुकी थी, अपने सर का झटका देते हुए जोर जोर से मेरा लंड चूसने लग गयी तो मै सिसक रहा था।

मैं – ओ अबे साली रण्डी, घर में मम्मी पापा है। अगर उन्होंने देख लिए तो तेरी गान्ड फाड़ देंगे।

लेकिन ज्योति लंड चूसने लाने में लीन थी और मेरा लंड उसकी मुंह में लोहे की सलाख की भांति गरम और कड़ा हो चुका था। कुछ पल बाद ज्योति ने अपने मुंह से मेरा गीला लंड बाहर निकाल दिया।

और अब वो उसको थामे जीभ से चाटने लग गयी, तो मेरे पैर में कम्पन होने लग गये। ज्योति लंड को चाटकर सीधे वाशरूम भागी। मै सोच रहा था कि ज्योति को अभी पटक कर चोद डालूं या फिर बुर चाटकर लंड का रस उस रण्डी को पिला दुं।

इतने में ज्योति वापस कमरे में आई और मेरे बेड पर लेट कर बोली – सतीश, मम्मी कुछ काम से बाहर गई है। लेकिन वक़्त कम और काम ज्यादा है।

सतीश – शर्त तो हार गई, अब क्या लेना है बोल?

ज्योति – छुपकर नहीं खुलकर चुद्वाती हूं।

और मैं ज्योति के कमर के पास बैठकर उसकी स्कर्ट को ऊपर करने लग गया। वो बेशर्म लड़की की तरह अपनी दोनों टांगों को फैला कर लेट गयी। तो मैने एक तकिया ज्योति के नितम्ब के नीचे डाल दिया, और अब अपना चेहरा ज्योति दीदी कि दोनों मस्त जांघों के बीच करके बुर का दीदार करने लग गया।

सही में जब से ज्योति चूत चुदाई करवाने लगी, तो उसकी बुर की खूबसूरती देखने लायक थी। मैं उसको चूमता हुआ उसकी बुर के छेद में एक उंगली पेल कर उसे रगड़ने लग गया।

मैं बुर के दोनों फांक को चूमकर मस्त हो रहा था, तो वो सिसकने लगी और बोली – अरे कुते, लंड में जंग लगा है क्या, उंगली पेल रहा है?

लेकिन मै ज्योति की बुर को चूम चूम कर मस्त हो रहा था और अब बुर की आग असहनीय थी। तो मैंने उंगली निकालकर अब बुर की फांकों को फैलाया, और मैं अपनी जीभ ज्योति की बुर को चाटने लग गया।

तो ज्योति अपने चूतड़ को उच्काने लगी, वो सिसक लेते हुए बोली – उई मां, इतनी खुजली ही रही है चोद ना सतीश।

लेकिन मै बुर के अंदर जीभ लपालप करता हुआ उसके पानी पीने को तरस रहा था। ज्योति दीदी की चूत की पानी का स्वाद नमकीन था, तो अब मेरा लंड पूरी तरह से गुफा में जाने को तरस रहा था।

तभी मै ज्योति की चिकनी और गद्देदार चूत को मुंह में भर कर चूसने लग गया, और वो तड़पते हुए बोली – अब अब नहीं, प्लीज़ छोड़ दो आह बुर का पानी।

फिर मैं बुर का रस को पीकर मस्त हो उठा। घर में सिर्फ हाम दोनो हि थे और ज्योति को मैने एक हफ्ते से नहीं चोदा था। और साथ ही एक शर्त भी मैं जीत चुका था।

अब ज्योति वाशरूम चली गई तो मै उसका इंतजार करने लग गया। ज्योति के गोल गोल स्तन, पतली कमर और गोल गुंबदाकार गान्ड किसी को सम्मोहित करने के लिए काफी थी।

वो बेड पर आकर लेटी तो मैने उसको कोहनी और घुटने के बल कर दिया। अब स्कर्ट कमर पर था तो उसकी गान्ड देख मुंह में पानी आ गया, । खैर अब तक उसकी गान्ड को चोदने का मुझे मौका नहीं मिला था।

तो मै अब घुटने के बल होकर लंड को बुर में घुसाने लग गया। सुपाड़ा सहित १/२ लंड आराम से बुर में चला गया और मै उसकी कमर को कसकर पकड़े एक जोर का धक्के से लुंड को उसकी बुर में डालने लग गया।

ज्योति – बाप रे, बुर का भर्ता बना देगा क्या?

मै चोदता हुआ बोला – चूपकर साली कुती एक तो पेंटी और ब्रा के बहाने बुर दिखाने आ गई और शर्त हार कर भी बोलती है।

ज्योति – बुर में आग लगी हुई है जानू, वो तो एक बहाना था लेकिन तुम भी तो मेरा ब्रा और पैंटी लेकर आए थे।

अब उसकी गीली चूत में मेरा लंड पूरे गति से चुदाई कर रहा था, यकीन ही नहीं हो रहा था कि इस चूत को मैंने पहले भी चोदा है। और ज्योति अब पीछे की ओर देखते हुए अपने चूतड़ की हिलाने लगी। सही में दोनों काफी मजे ले रहे थे और वो बुर की गर्मी से राहत चाहती थी।

ज्योति – अब रहम करो बे चोदु।

मै- दम मार जल्दी ही माल झाड़ूगा।

बुर की आग में मेरा लंड तेज गति से चुदाई कर रहा था, फिर लंड का दम घुटने लगा तो मेरा लंड ज्योति की चूत में वीर्य झाडने लग गया। फिर दोनों अलग हुए और फ्रेश होकर कपड़ा पहन आराम करने लगे।

  प्यारी बहना की चुदास बुझाई - 6 




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