प्यारी बहना की चुदास बुझाई - 2 - Bahan Bhai Family Sex Story

  प्यारी बहना की चुदास बुझाई - 1

 सतीश और ज्योति चुदाई के बाद आराम से अपने कमरे में सो गए, और अगले दिन ज्योति दीदी कालेज चली गई तो मै भी अपने दोस्तो से मिलने चला गया। लेकिन मेरा ध्यान उनके नग्न जिस्म पर ही होता है। तो मै अपने दोस्तो से मिलने के बाद मैं घर के लिए निकला।

और एक वाईन शॉप से मैने बियर खरीदी, फिर अपनी बाईक को एक सुनसान रास्ते पर ले गया और सड़क किनारे खड़ा होकर बियर पीने लग गया। घर वापस आकर मैंने अपने कपड़े बदले और फ्रेश होकर खाना खाया और फिर मैं सो गया।

ज्योति दीदी घर पर नहीं थी, मुझे नींद आ गई और थकावट के कारण मै २-३ घंटे तक सोता रहा। शाम के ५:३० बजे नींद खुली और मै अपने कमरे से बाहर आया तो देखा कि ज्योति और मम्मी चाय पी रही है। तभी मै भी वहीं बैठा और कुछ देर के बाद मम्मी ने मुझे चाय बनाकर दी, और मै ज्योति के साथ बैठा चाय पी रहा था।

ज्योति – क्या हाल है सतीश, क्या बात दिन में सौ रहे थे?

मैं – हां थोड़ी थकावट हो रही थी इसलिए।

ज्योति मुस्कुराते हुए बोली – हां रात को कुछ ज्यादा ही मेहनत कि थी ना, तब तो मेरी लहर रही थी।

मैं – क्या लहर रही थी ज्योति ?

ज्योति – अबे चूपकर तुमको सब मालूम है।

और फिर मै अपने घर के छत पर जाकर टहलने लग गया, कुछ देर तक वहीं पर घूमता रहा और फिर नीचे आया तो ज्योति अपने कमरे में थी। उस रात तो कहीं कुछ नहीं हुआ और अग्ला दिन भी सामान्य दिन की तरह ही बीत गया।

शाम को मैं घर से बाहर जाने लगा, तो मम्मी कुछ सामान लाने को बोली और मै सामान खरीदने से पहले एक वाईन शॉप मै जाकर एक बियर की केन खरीदा और पास के एक पार्क में घुसकर पीने लग गया, बियर पीते हुए ज्योति और मेरे जिस्मानी संबंध के बारे में सोच रहा था।

आखिर में यही सोचा कि अगर ज्योति मुझे सेक्स के लिए उकसएगी तभी आगे कुछ किया जाएगा। मैं घर सामान लेकर लौटा और फिर अपने कमरे में कपड़ा बदलकर फ्रेश हुआ और डायनिंग हाल में आ गया। ज्योति अपने रूम में ही थी तो मै वहीं बैठकर मम्मी को आवाज दी और बोली।

ज्योति – मम्मी एक काफी बनाना प्लीज मेरे लिए।

और फिर कुछ देर बाद ज्योति भी मेरे पास बैठी हुई थी, वो काले रंग के बिन बाहों वाले एक फ्रॉक पहने हुई थी। जोकि उसके घुटने तक उसे ढक रही थी, लेकिन बैठते ही फ्रॉक उसके जांघों पर आ गई और हम दोनों काफी पीने लग गए।

लेकिन मेरी नजर उसकी जांघों पर जा रही थी तो ज्योति मुस्कुराई और बोली।

ज्योति – मौका अच्छा है, मम्मी किचन में है। तुम हाथ लगा सकते हो।

तो मै ज्योति के जांघ पर अपने हाथ को फेरने लग गया और मेरा हाथ धीरे धीरे उसकी फ्रॉक के अंदर कमर की ओर जाने लगा, उसके मोटे चिकने जांघों को सहलाता हुआ मेरा हाथ उसके पैंटी तक पहुंच गया। और मै अपनी हथेली को पेंटी पर रगड़ने लग गया ,बुर का एहसास तो मिल रहा था और ज्योति के चेहरे पर सुखद एहसास भी साफ नजर आ रहा था।

मेरा लंड बरमूडा के भीतर टाईट होने लगा तो ज्योति मुझे धीरे से बोली – चल छत पर घूमते है।

मैं – मम्मी को बोल दो नहीं तो वो तुझे ढूंढेगी।

और फिर मै छत पर पहुंचा, वहां एक लकड़ी की चोंकी पड़ी हुई थी। तो मै छत पर टहलता हुआ ज्योति दीदी का इंतजार करने लगा। कुछ देर के बाद ज्योति वहां आई और मेरे बगल में बैठकर मेरे बरमूडा के ऊपर से लंड को पकड़ लिया और वो बोली।

ज्योति – साला ये तो तुरंत खड़ा हो गया है।

और मै ज्योति के फ्राक को कमर की ओर करता हुआ पैंटी को उसके कमर से नीचे करने लगा। वो भी अपनी चूत को नग्न करने में मेरी मदद कर रही थी, और अब मैं उसकी नग्न बुर पर हाथ फेरने लगा। तो वो मेरे बरमूडा के किनारे से अपना हाथ अंदर डाला और मेरे लंड को बाहर निकल कर हिलाने लगी।

तभी मेरे अंदर का जानवर जाग उठा और मै ज्योति दीदी के पैर के पास बैठकर उसके चुतर को चौंकी के किनारे पर किया। उसके दोनों पैर दो दिशा में थे, तो मेरे सामने उसकी नग्न बुर चमक रही थी।

सड़क के किनारे लगे भेेपर लाईट से थोड़ी रोशनी छत पर आ रही थी। अब मैं ज्योति के बुर पर चुम्बन देने लगा, तो वो सिसकने लगी और बोली।

ज्योति – ओह ऊं आह सतीश ये ले मेरी बुर में जीभ घुसाके मेरी बुर को अच्छे से चाट।

और फिर मैंने ज्योति बुर को फैला दिया और मै अपनी जीभ से उसकी बुर को चाटने लग गया। उससे प्राकृतिक गंध आ रही थी, और मैं ज्योति दीदी कि चूत के अंदर जीभ पेलता हुआ मै बुर चाट रहा था।

मेरा लंड टाईट हो चुका था और ज्योति मेरे बाल को कसकर पकड़े मेरा चेहरा अपने बुर की ओर धंसा रही थी। मै कुछ देर तक बुर को कुत्ते की तरह लपालप चाटता रहा और वो बोली।

ज्योति – हाई मेरी बुर में कितनी खुजली हो रही है, अब चूस ना अपनी बहन की चूत को।

और फिर मै ज्योति दीदी की बुर के दोनों फांक को मुंह में भरकर चूसने लग गया। मेरे पूरे बदन में आग लगी हुई थी, तो ज्योति मजे में सिसकारी भर रही थी। मै भी ज्योति दीदी की बुर को मुंह से बाहर किया और अब मैं चौंकी पर बैठ गया।

ज्योति मेरे पैर के पास बैठकर मेरे बरमूडा को नीचे की ओर खींस्का दी और मेरे नग्न लंड को थामकर चूमने लगी। मेरा ७-८ इंच लम्बा २ इंच मोटा लन्ड ज्योति के हाथ में था। और वो उसको चूमते हुए उसके सुपाड़ा को अपने चेहरे पर रगड़ने लगी तो मेरा लंड पूरी तरह से चोदने को आतुर हो गया।

लेकिन अभी तो ज्योति दीदी मुखमैथुन करने को उग्र थी ।अब वो अपना मुंह खोलकर लंड को अन्दर ली और फिर चूसते हुए मेरे झांट पर उंगली घुमा रही थी। मेरा तो हाल खराब हो रहा था।

अब वो मेरे लंड को पकड़कर मुंह का झटका देने लगी और फिर मै बोला।

मैं – ज्योति तेजी से चूस बे रण्डी आह बहुत मजा आ रहा है।

और वो मेरे लंड को मुंह से बाहर करके अपने जीभ से मेरे लंड चाटने लग गयी। ,मेरा लंड पूरी तरह से गरम हो चुका था, वो लंड के हर हिस्से पर जीभ फेर फेर कर उसे चाट रही थी।

मुझे ऐसा लग रहा था मानो वो लॉलपोप को चाट रही है। तभी ज्योति मेरे लंड को मुंह में भर ली और सर का तेज झटका देते हुए मुखमैथुन करने लगी। मै अपना हाथ उसके सीने पर लगाकर उसके बूब्स को दबाने लग गया। और वो रण्डी लंड चूसने में मगन थी।

कुछ देर के बाद वो मेरा लंड छोड़कर उठी और बेशरम लड़की की तरह अपने फ्रॉक को कमर तक ऊपर कर के अपनी टांग फैला दी। उसका एक पैर चौंकी पर था तो दूसरा जमीन पर और मै बुर पर मुंह लगाकर चूमने लगा

तभी ज्योति बुर को फालका दी तो मै जीभ से बुर चाटने लग गया और बुर में रस जमा हुआ था। उसका स्वाद लेते ही मैं मस्त हो गया था और फिर ज्योति दीदी बोली।

ज्योति दीदी – अब छोड़ो मेरी बुर को।

मैं – चोदने का मन कर रहा है

ज्योति दीदी – अभी संभव नहीं है।

और फिर हम दोनों चौंकी पर बैठकर एक दूसरे को निहारने लग गए, ,मेरे लंड को थामकर हिलाते हुए अब मेरे चेहरे को चूमने लगी। तो मै ज्योति के रसीले ओंठो को चूसता हुआ बूब्स दबा रहा था। और ज्योति मेरे लंड को तेजी से हिला कर ऊपर नीचे कर रही थी।

तभी ज्योति अपना जीभ मेरे मुंह में घुसा दी तो मै ज्योति दीदी के जीभ को चूसता हुआ, अपने लंड पर उसके हाथ का एहसास पा रहा था। कुछ देर तक जीभ को चूसता रहा और ज्योति दीदी मेरा लंड हिलाती रही।

फिर वो मेरे मुंह से अपना जीभ निकाल कर मुस्कुराने लगी, लेकिन लंड थामे हस्तमैथुन करते रही थी।

मै ज्योति के चूची को दबाता हुआ बोला – ज्योति चूस ना मेरे लंड को ,वीर्य का स्वाद नहीं लोगी क्या ?

ज्योति – बिल्कुल भी नहीं।

मैं – ओह बुर चटवाने में बहुत मजा आता है, रस तो तेरी बुर का चाट लिया मैंने और तुम।

ज्योति – ठीक है साले अब मेरी मूह को ही चोद।

अब ज्योति मेरे पैर के पास बैठी थी, वो मेरे लंड को चूमते हुए झांट में उंगली घुमा रही थी। तो मै ज्योति दीदी की चूची को मसलने में मशगूल था। अब ज्योति अपने लंबी जीभ को मुंह से बाहर की और उस पर मेरे लंड का सुपाड़ा रगड़ने लगी। मुझे काफी मजा आने लगा और ज्योति अपने जीभ पर कुछ देर तक मेरे लंड को रगड़ने के बाद, लंड को मुंह में ले लिया।

और फिर सर का तेज झटका देते हुए मुखमैथुन करने लगी, मेरे लंड को किसी खेली खाई लड़की की तरह चूस रही थी और मेरा हाथ उसके मुलायम चूची को मसलकर मस्त था। अब मेरा लंड आखिरी पड़ाव पर था और वो रण्डी तेजी से मुखमैथुन कर रही थी।

अब मेरा लन्ड माल फेंकने पर था, तभी मै सिसकने लगा और मैं बोला।

मैं – अबे साली रण्डी और तेज लंड चूस, मेरा माल निकलने वाला है।

तभी ज्योति के सर पर हाथ रखकर पूरा लंड उसके मुंह में पेल दिया और सुपाड़ा उसके गले में जाकर अटक गई और मेरा लंड वीर्यपात करा दिया तो ज्योति वीर्य पान करके मस्त हो गई। अब मेरा लंड सुस्त पड़ गया और दोनों अपने कपड़े को ठीक करने लगे। ज्योति दीदी मेरे गाल को चूम ली और बोली।

ज्योति दीदी – कल रात तुझसे चूदना भी है।

और दोनों छत से अपने रूम में आ गए।


अब सतीश को बुर की भूख लगा चुकी थी, तो उसकी बड़ी बहन ज्योति लंड पाने को आतुर थी। दोनों ने अपने घर की छत पर ही काम क्रिया किया था, लेकिन संभोग सुख के अलावा मुखमैथुन और चुम्बन ही दोनों के बीच हुआ था। ज्योति ने मेरे लंड के वीर्य को चखा था, तो मैने उसकी बुर से निकले रस को भी चाटा था।

और फिर हम दोनों उस रात अपने – अपने कमरे में सो गए। अगली सुबह ज्योति दीदी ज्योति अपने कालेज के लिए निकली, तो मै ज्योति दीदी को कालेज छोड़ने के लिए गया। हम दोनों बाईक पर सवार होकर उसके कालेज के गेट पर पहुंचे, और ज्योति बोली।

ज्योति – आज का क्लास बोरिंग है तो एक घंटे बाद मुझे यहां पर लेने आ जाना।

फिर मै वापस निकल पड़ा और मार्केट की ओर चला गया। और एक बियर बार में बैठकर बियर पीने लगा। करीब २ बोतल बियर पीकर मैं मस्त हो गया और फिर एक पान की गुमटी के पास आकर एक सिगरेट पीने लग गया।

मुझे ज्योति के कालेज के गेट पर १० मिनट में पहुंचना था, फ़िर मैं वहां से निकल पड़ा और ज्योति दीदी के कालेज के पास पहुंच कर ज्योति दीदी का इंतजार करने लगा। ज्योति कुछ देर के बाद कालेज से निकली और मेरे साथ बाईक पर बैठ गई।

वो मेरे कमर पर हाथ और साथ में एक हाथ कंधे पर रख कर बैठी हुई थी, उसका एक बूब्स मेरे पीठ से चिपका हुआ था। मै बाईक तेज रफ्तार से चला रहा था, कुछ देर बाद ज्योति मुझसे बोली।

ज्योति – सतीश आज गंगा के किनारे बैठते हैं प्लीज।

मैं – लेकिन वहां जाकर क्या करेंगे हम ?

ज्योति – चलो तो पहले।

फिर मै बाईक को तेज रफ्तार से चलाने लग गया, और करीब आधे घंटे के बाद गंगा घाट पहुंचे गये। तो ज्योति दीदी ज्योति ने मुझे गंगा के किनारे एक लॉज के पास रुकने को बोला, और वो बाईक से उतरकर सीधा लॉज में चली गई। कुछ देर बाद वापस आई और मुस्कुराते हुए बोली।

ज्योति – एक कमरा शाम तक के लिए है।

मैं – लेकिन क्या ये जगह सही होगी, अगर हम पकड़े गए तो ?

ज्योति – अरे डरपोक, तू अंदर चल तो मैं सब बताती हूं तुझे।

ज्योति दीदी ज्योति के इस काम से मैं बहुत अचंभित था, फिर मैं लॉज के अंदर घुसा तो रिसेप्शन पर एक लड़का बैठा हुआ था। और वो मुस्कुराते हुए एक चाभी देते हुए बोला।

लड़का – ऊपर की मंजिल पर २०९ नंबर का कमरा है।

फिर ज्योति दीदी ने उसे ५०० रू का नोट दे दिया। फिर हम दोनों ऊपर की मंजिल पर जाने लगे , और ज्योति दीदी ज्योति अब कमरे का ताला खोला और हम दोनों अंदर चले गए। मेरी ओर देखते हुए ज्योति बोली।

ज्योति – नी की बोतल मंगवा लेते है और खाने का ऑर्डर दे देते है, ठीक है ना ?

मैं – ठीक है ज्योति दीदी।

और फिर होटल के सर्भिस स्टाफ को फोन करके सब कुछ का ऑर्डर ज्योति ने कर दिया, वो मेरे बगल में बैठी पर अंदर से दरवाजा खुला हुआ था।

मै बोला – कमरा तो बढ़िया है ज्योति दीदी।

ज्योति – अबे साले चोदु अभी तो बीबी बोल ले मुझे।

मैं – अभी तो तुम मेरी ज्योति दीदी ही हो, बीबी बनोगी तब तो कहूँगा बीवी।

इतने में एक लड़का आकर पानी का बोतल दे कर वापिस चला गया। ज्योति ने उठकर दरवाजा को बंद किया और मेरी बगल में बैठकर मुझे घूरने लग गयी।

ज्योति अब बेड के किनारे पर बैठकर अपने टॉप्स को निकाल देती है, उसके बूब्स ब्रा में काफी खूबसूरत दिख रहे थे। फिर ज्योति अपने लेगिंग्स को कमर से नीचे करने लगी और उसने मुझे भी कपडे उतारने को बोला। मै अपने शर्ट और जींस को उतारकर एक खूंटी में टांग दी, और सिर्फ कच्छा और बनियान में बैठे गया।

ज्योति दीदी सिर्फ पेंटी और ब्रा पहन कर बैठी थी, उसकी मदमस्त जवानी को देख मैं तड़प उठा। तभी २३ साल की मस्त माल बेड पर लेट गई और मै भी उसके बगल में बैठ गया, उसके बदन को निहारता हुआ। मैं अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया। ज्योति के गोल गोल बूब्स उसके सीने कि खूबसूरती बढ़ा रहे थे।

तो मै अब ज्योति के जिस्म पर झुक कर उसके चेहरे को चूमने लग गया। उसके बूब्स को दबाता हुआ मैं उसके होंठो को मुंह में लेकर चूसने लग गया। और ज्योति अब मेरे बदन पर हाथ फेरने लग गयी। अब ज्योति अपना आपा खो चुकी थी और वो अपने लंबी जीभ को मेरे मुंह में भरकर चुसवा रही थी।

उसके बूब्स को ब्रा पर से मसलते हुए, मैं उसकी जीभ को चूस रहा था। और पल भर बाद ज्योति मेरे चेहरे को पीछे की ओर कर दिया। मेरे मुंह से जीभ बाहर निकाल कर ज्योति ने अपना हाथ अपने पीछे की ओर ले जाकर अपनी ब्रा को भी खोल दी। तो मै उसके एक चूची को पकड़कर उसके घूंडी को जीभ से चाटने लगा और मैं बोला।

मैं – अरे जानेमन मेरे रहते हुए, तू कपडे खुद क्यों उतार रही है ?

ज्योति – चल अब दूध पी और अपनी बकवास बंद कर।

और मै ज्योति के एक चूची को मुंह में लेकर उसे चूसता हुआ दूसरे स्तन को दबाने लग गया। वो मुझे अपने छाती से लगाकर दूध पीला रही थी, और मेरा लंड कच्छा में टाईट हो रहा था। ज्योति की सिस्कान निकलते हुए बोली।

ज्योति – आह ओह ऊं और तेज चूसो ना मेरी चूची को।

मेरा लंड तो अब पूरी तरह से टाईट हो गया था, लेकिन मुझे अभी ज्योति को पहले गरम करना था। उसकी दूसरी चूची चूसता हुआ मैं मस्त हो रहा था, फिर मै ज्योति दीदी के सपाट पेट से लेकर कमर तक को चूमने लग गया।

ज्योति अपने दोनो पैर को बिस्तर पर रगड़ रही थी ,तभी मै ज्योति दीदी की चुतर के नीचे एक तकिया डाला। और उसके जांघों को दो दिशा मे करके, मैं उसकी पेंटी पर नाक लगाकर बुर को सूंघने लगा। ज्योति के पेंटी की डोरी को खोला और उसकी चूत को नग्न कर दिया।

ज्योति की चूत चिकनी और बिन बार की थी और दोनों फांक ब्रेड पकोड़े की तरह फूली हुई थी। अब मै बुर के मुहाने पर नाक लगाकर बुर सूंघने लग गया, और फिर बुर पर होंठ सटाकर चूमने लग गया।

मैं ज्योति की बदन के हरेक अंग के साथ वक़्त बिताना चाहता था, अब बुर को चूमता हुआ ज्योति दीदी कि बुर के फांक को अलग किया। और जीभ से बुर चाटने लग गया, ज्योति दीदी मेरे बाल को कस रही थी।

वो मेरे सर को अपने चूत की ओर धंसा रही थी, और मै उसकी चूत को जीभ से चाटने मे लगा हुआ था। ज्योति दीदी सिसकते हुए बोली।

ज्योति – अबे साले कुत्ते सिर्फ बुर चाटता रहेगा या चोदेगा भी।

तो मैंने ज्योति की बुर को छोड़कर सर ऊपर किया। ज्योति बेड पर नंगे लेटि हुई थी, तो मै अब ज्योति के चेहरे के पास बैठा और अपना कच्छा खोल दिया। मेरा लंड पूरी तरह से टाईट हो गया था।

तो मै ज्योति दीदी के होंठो पर अपने लंड का सुपाड़ा रगड़ने लगा और टाईट लंड धीरे धीरे उसके मुंह में जाने लग गया था। ज्योति अपने मुंह को खोलकर मेरा लंड ले कर चूसने लग गयी, तो मै उसके दोनों बूब्स को मसलने लग गया।

अब ज्योति की आंखें बंद थी और मै उसके सर के पीछे हाथ लगाकर थोड़ा ऊपर किया और लंड से उसका मुंह को चोदने लग गया। मेरे लंड का सुपाड़ा उसके गले मे अटक रहा था और मै ज्योति के मुंह को अपने लंड से चोदता जा रहा था। कुछ देर के बाद ज्योति मेरा लंड मुंह से निकालकर उस पर जीभ फेरने लग गयी और अब हम दोनों गरम हो चुके थे।

अब ज्योति वाशरूम जाकर फ्रेश हुई और मै भी फ्रेश हो गया। फिर हम दोनों बेड पर नंगे ही थे, ज्योति बोली।

ज्योति – तुम बियर पीते हो ना ?

मैं – हाँ क्यों तुम्हारा भी पीने का मन है ?

ज्योति – जरूर।

तो मैंने होटल स्टाफ को फोन किया और कुछ देर बाद वो बियर की बोतल लेकर वो हाज़िर हो गया। मैं कमर से एक तौलिया लपेट रखा था, तो ज्योति दीदी वाशरूम घुस गई थी, अब वो स्टाफ वाला चला गया। तो मैंने दरवाजा बंद किया और वाशरूम का दरवाजा खटखटाने लग गया।

तो ज्योति दरवाजा खोला और अब दोनों बेड पर बैठकर बियर को गलास में डाले पीने लग गये। ज्योति बेशर्म लड़की की तरह मेरे मुंह से सिगरेट लेकर पीने लग गयी, बिल्कुल किसी रण्डी की भांति हरकत कर रही थी। और दोनों बियर पीकर थोड़े ठंडे पड़ गए। अब ज्योति मेरे लंड को पकड़ कर बोली।

ज्योति – चल अब अपनी बीबी की चुदाई कर।

और वो बेड पर लेट गई तो मै उसकी जांघों के बीच घुटने के बल बैठकर, लंड को उसकी बुर में पेलने लग गया। आधा लंड आराम से ज्योति दीदी की चूत में चला गया था, और मैने कमर थामे एक जोर का झटका बुर पर दे दिया। जिससे मेरा लंड अब बुर के अंदर चला गया था और मै अब जोर जोर से चुदाई करने लग गया।

ज्योति – अबे साले तेरा लंड तो लोहे कि सलाख की तरह गरम और कड़ा है, अपनी बीबी की बुर फाड़ेगा क्या ?

मै चोदता हुआ बोला – जरूर बे साली, तुझे चोद चोदकर अपनी रण्डी बना दूंगा आज।

और मेरा लंड उसकी बुर में तेजी से दौड़ लगा रहा था, अब मै ज्योति के जिस्म पर सवार होकर चुदाई करता रहा रहा था। ज्योति मेरे बदन को सहलाते हुए मेरे होंठो को चूमने लग गयी। कुछ देर के बाद ज्योति चिल्लाने लगी और बोली।

ज्योति – ओह आह ऊं सतीश और तेज मुझे चोदो मेऋ बुर का पानी निकलने वाला है।

और पल भर बाद ज्योति की बुर से रस निकलने लग गया, मै अब अपना मुंह उसकी बुर पर लगाकर रस कोजीभ से चाटने लग गया। और कुछ देर तक ज्योति की बुर के रस का स्वाद लेता रहा।

फिर मैंने ज्योति को बेड पर कुत्तिया बना दिया, जिससे मेरे सामने उसकी गांड आ गयी। ज्योति दीदी की गोल गुंबदाकार गान्ड को चूमता हुआ अब उसके गान्ड के मुहाने को जीभ से चाटने लग गया। तो वो पीछे मूड कर मुझे देख रही थी, फिर मैने ज्योति दीदी की चूत में लंड को घुसा दिया।

और मैं उसकी कमर थामकर जोर का झटका दिया। ज्योति की रसीली चूत में मेरा लंड था और अब तिब्र गति से चुदाई करता हुआ, मस्त हो रहा था। तभी ज्योति अपने चूतड़ को आगे पीछे करने लगी और मै उसके सीने से लटकते चूची को दबा रहा था। और साथ ही उसकी बुर को चोद रहा था।

ज्योति की बुर गरम हो चुकी थी, तो मेरा लंड अब पल दो पल का मेहमान था। वो अपने चूतड़ को हिलाते हुए हान्फ़ रही थी और बोल रही थी।

ज्योति – अब बस करो मेरे जानू बुर की गर्मी को अपना रस झाड़ कर शांत कर दो।

और कुछ देर बाद उसकी बुर में रस गिरा कर मैं शांत पड़ गया। हम दोनों थक कर बेड पर ही लेते रहे।


ज्योति दीदी और मेरे कॉलेज में छुट्टी थी, मैं जैसे ही कमरे में घुसा तो ज्योति दीदी बेड पर एक मैगजीन लिए लेटी हुई थी। वो मुझे देख कर बोली।

ज्योति दीदी – क्या सतीश इधर कहाँ?

मैं मुस्कुराते हुए बोला – कुछ नहीं ज्योति दीदी।

फिर मैं उनके पैर के पास बैठकर उनको देखने लगा, तो वो मुस्कुराई, लेकिन मेरी नजर तो उनके टॉप्स के गोलाई पर थी। मैं उनकी चूची को घूरता हुआ, उनके पैर को सहलाने लगा और धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगा।

मेरे हथेली कि रगड़ से ज्योति दीदी का चेहरा लाल हो रहा था, और वो अपने होंठो पर अपने दाँत गडा रही थी। उसके स्कर्ट के द्वार के करीब मेरा हाथ था, कि तभी ज्योति हड़बड़ा कर उठी और मेरा हाथ थाम कर बोली।

ज्योति दीदी – नहीं सतीश अभी प्लीज़ रहने दो फिर कभी।

लेकिन मैंने उनकी बातों को अनसुनी करते हुए, फिर से अपना हाथ उनकी जांघ पर रख दिया। और जांघ को सहलाते हुए उसकी चूची को जोर से मसल दिया और वो बोली।

ज्योति दीदी – आह आउच इतने जोर से मत दबायो।

अब मेरा हाथ उनकी जांघ के उपरी हिस्से में पहुंच चुका था, ज्योति फिर से बेड पर लेट गई। तो मैंने उसके जांघ को रगड़ते हुए अब उसकी कमर के पास बैठा और जोर जोर से स्तन मसलने लगा।

ज्योति अब मेरे काबू में आ चुकी थी, लेकिन दिन का वक़्त था। इसलिए चोरी पकड़ी ना जाए, सो कमरे का दरवाजा खुला ही रखा था।

लेकिन मेरा ध्यान उधर ही था, पल भर बाद मेरा लंड बरमूडा में टाईट हो गया। और मेरा हाथ बुर को पेंटी पर से ही रगड़ रहा था।

ज्योति दीदी – आह ओह ऊं सतीश मेरी जान निकाल दोगे क्या?

अब मै उसकी स्कर्ट को कमर तक करके उसकी पैंटी की डोरी को खोलने लगा। और फिर मैंने उसकी बुर को नंगा कर दिया।

वो थोड़ा डर रही थी, लेकिन मै उसकी दोनों जांघों को दो दिशा में खोल कर उसकी बुर को निहारने लग गया। फिर एक तकिया उसकी गान्ड के नीचे लगा दिया।

अब मैंने अपना चेहरा जांघों के बीच कर दिया, और मैं उसकी बुर को चूमने और चाटने लग गया। चिकनी चूत पर होंठ को लगाकर प्यार करने का आनंद ही अलग आ रहा था।

लेकिन उसकी बुर से प्राकृतिक खुस्बू आ रही थी, अब मैंने उसकी दोनों फांको को अलग किया और बुर के छेद में जीभ डाल कर उसकी बुर चाटने लग गया।

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