प्यारी बहना की चुदास बुझाई - 1 - Bahan Bhai Family Sex Story

 प्यारी बहना की चुदास    

हेलो मित्रो,
मै सतीश आप लोगो को एक ऐसी वाकया से वाकिफ कराऊंगा l जो घर परिवार,समाज के लिए तो जुर्म है लेकिन यदि काम वासना की बात की जाय तो बेहद मस्त है। मै, मेरे पापा,मम्मी और बड़ी ज्योति दीदी दिल्ली के समीप गाजियाबाद में रहते है।
पापा एक फैक्ट्री में नौकरी करते है, तो मेरी एक मम्मी हाउसवाइफ है। मेरी ज्योति दीदी ज्योति बी.ए की पढ़ाई पूरी करके घर में ही पूरा दिन ब्यतित करती है, और मै बी.ए द्वितीय वर्ष का छात्र हूं।
ज्योति देखने में सुंदर है, उसकी उम्र २३ साल के आसपास है। उसकी लंबाई ५’५ फीट है, और उसके सीने पर दो संतरे समान चूची तो उनके गोल नितम्ब काफी लुभावने। मैंने उन्हें कभी नंगा नहीं देखा है, उसकी गान्ड की दरार चलने वक़्त जब आपस में टकराती है, तो मेरे लंड को खंबे की तरह खड़ा कर देती है।
ज्योति दीदी घर में गाउन ही पहनती है। लेकिन उसका मुशकिल से ही उसके पुरे पूरे घुटने ढक पाती है, एक शाम मै बाज़ार के लिए निकला तो ज्योति दीदी मुझे बुलाया और और वो मुझसे बोली – सतीश मेरा कुछ सामान ला दो ?
मैं बोला – ठीक है, ज्योति दीदी बोलो क्या क्या लाना है ?
ज्योति – लों ये कागज इसमें सब लिखा है ।
मैंने उस कागज पर लिखे सब सामान को देखने लगा, फिर उनके चेहरे को देख मुस्कुराता हुआ बाज़ार चला गय। मैं अपनी ज्योति दीदी ज्योति के बारे में सोच रहा था, वो मुझे हेयर रिमुभर ,पैड्स और एक दवाई लाने को बोलीं थी। पर मै पहले वाईन शॉप पर गया और एक बियर लिया और सुनसान इलाके में पीकर मैंने ज्योति दीदी का सारा सामान खरीदा। शाम के ०७:४० बजे घर वापस आया, और ज्योति दीदी के कमरे में जाकर उन्हें समान देते मैंने उनसे पूछा।
मैं – ज्योति दीदी ये दवाई किस काम की है ?
ज्योति दीदी मुस्कुराई और बोली – बाद में बताऊंगी तुझे मैं।
फिर मैं ज्योति दीदी के कमरे से बाहर निकला और मम्मी के पास किचन चला गया, मैं एक प्याला कॉफी लेकर बालकनी में जाकर पीने लगा।
हम सब ने साथ में खाना खाया, तो उस टाइम मेरी नजर बार बार ज्योति दीदी के स्तन पर जा रही थी। ज्योति दीदी भी मुझे तिरछी नजर से देख रही थी। फिर खाना खाकर मैं अपने बेडरूम गया और नाईट बल्ब जलाकर बेड पर लेटे लेटे मोबाइल में न्यूज पढ़ने लगा।
लेकिन मैं बार बार ज्योति दीदी की गर्भ निरोधक दवाई के बारे में सोच रहा था। तकरीबन ११:१५ बजे मुझे नींद आ गई और मै सो गया। मेरा कमरा ज्योति दीदी के कमरे से सटा हुआ था, और हम दोनों का वाशरूम एक ही था। बाथरूम का एक दरवाजा ज्योति दीदी के कमरे की ओर तो दूसरा दरवाजा मेरे कमरे की ओर खुलता था।
मै गहरी नींद में सो रहा था, तभी मुझे एहसास हुआ कि कोई मेरे बरमूडा को कोई खोल रहा है । मुझे लगा कि ये कोई सपना है। तभी मेरी आंख खुली तो मेरी ज्योति दीदी ज्योति मेरे बरमूडा को खोलकर मेरे लंड को थामे हुई थी। मैं उन्हें देखकर हड़बड़ा गया और बेड पर बैठकर एक चादर से अपने लंड को ढक लिया।
ज्योति मेरी बहन काले रंग के गाऊन में बला की सुंदर दिख रही थी, वो मुझसे नजर मिलाते हुए उसने मेरे लंड पर से चादर को हटा दी। और मेरी बहन मेरा लंड को पकड़ कर बोली।
ज्योति दीदी – सतीश मुझे आज रात तेरे साथ मस्ती करनी है, प्लीज़ आज तुम मुझे मत रोको ।
ज्योति दीदी के ये कहते ही मैंने ज्योति दीदी के हाथ को अपने लंड पर से हटा कर बोला।
मैं – ज्योति दीदी आप अपने बॉय फ्रेंड के साथ मजे करो, तुम मेरी बड़ी बहन हो 

लेकिन ज्योति तभी बेशर्म लड़की की तरह अपना गाउन उतारने लग गयी। और उसने अपने बदन से अपना गाउन निकाल दिया। उसके अर्ध नग्न जिस्म को देख मेरा मन तड़प उठा। तो मै भी ज्योति दीदी को अपने गोद में बिठाकर चूमने लग गया। ज्योति ने मात्र एक पेंटी पहन रखी थी, और वो मेरे गोद में दोनों टांग दो दिशा में किए और दोनों पैर मेरे कमर से लपेटे बैठी हुई थी।
वो मेरे से लिपटे अपने चूची को मेरे छाती से रगड़ने लगी, तो हम दोनों एक दूसरे को चूमने लग गए थे। मेरा हाथ उसके पीठ को सहला रहा था, तो ज्योति ने भी मेरे पीठ पर अपने हाथ लगाए। ज्योति दीदी अब मेरे होंठों को अपने मुंह में लेकर चूसने लग गयी।
मै अब ज्योति दीदी के चिकने जिस्म को सहलाता हुआ, ज्योति की जीभ अपने मुंह में लिया और चूसते हुए उसके मुलायम चूची का एहसास छाती पर पा रहा था। दोनों की आंखे बंद थी तो सांसे तेज थी, कुछ देर बाद उसने मेरे मुंह से अपनी जीभ बाहर कर ली। फिर मैन ज्योति दीदी को बेड पर लिटा दिया।
ज्योति के नग्न खूबसूरत जिस्म पर ओंधकर उसके चूची को थामा और मुंह में लेकर चूसने लग गया। तो वो मेरे बाल को सहलाने लगी ,ज्योति दीदी की बूब्स टाईट और छोटी थी। मै उनका स्तन चूसता हुआ दूसरा स्तन दबाने लग गया, वो अपने दोनो जांघ कों आपस में रगड़ते हुए सिसक करते हुए बोली।
ज्योति दीदी – ओह आह सतीश और तेजी से मेरी चूची चूसो ना आह मेरी बुर सतीश।
और फिर मैंने उनके दोनों स्तन को चूस चूसकर लाल कर दिये। अब मै ज्योति के नग्न सपाट पेट को चूमता हुआ बूब्स दबाने लग गया, और कमर के पास आकर चुम्बन देता हुआ अपना हाथ उनकी पेंटी के ऊपर लगाया, बुर के उभार को सहला रहा था तो मेरा लंड अब फन फनाने लग गया।
ज्योति की मोटी खूबसूरत जांघ को सहलाता हुआ पेंटी के हुक को खोल दिया और उनकी चूत को नग्न करके देखने लग गया। ज्योति अपने जांघों को सटाकर बुर को छुपा रही थी, तो मै अब उनके जांघ को चूमता हुआ उनके जांघों को अलग करने लग गया।
पल भर बाद ज्योति की जांघें अलग थी और मै रसीली चमकती चूत की देख रहा था। दोनों मांसल फांक आपस में सटे हुए थे तो बार का नामोनिशान नहीं था।
मैं – इतनी खूबसूरत आपकी बुर है ज्योति दीदी, जरा चूम तो लू ?
और फिर मैंने ज्योति दीदी के गान्ड के नीचे तकिया लगा कर मैंने अपना चेहरा उसकी बुर पर लगा लिया और फिर मैं ज्योति दीदी की चूत को चूमने लग गया।
फिर मैं ज्योति की बुर के फांक को चूमता हुआ उसपर नाक लगाया तो बुर की प्राकृतिक खुस्बु मुझेआ रही थी।
तभी ज्योति दीदी बुर पर उंगली लगाकर बुर को फलका दी और मै अपना जीभ उनके बुर में पेलकर बुर कुरेदने लगा। उनके कमर को कसकर थामे बुर को लपालप कुत्ते की भांति चाटने लग गया।
ज्योति दीदी – आह ओह सतीश पूरा जीभ बुर में पेलकर चाटो ना प्लीज।
जीवन में पहली बार एक नग्न जिस्म को प्यार कर रहा था, उसकी बुर थोड़ी ढीली थी तो मै कुछ देर बाद फांक को मुंह में लेकर चूसने लग गया। और अब मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था ,कुछ देर बुर को चूसा तो वो मुझसे अलग होकर बाथरूम गई।
ज्योति जैसे ही वाशरूम से वापिस आयी तो वो।मेरे पास आकर मेरे साथ बेड पर लेट गयी, और मेरे ऊपर सवार होकर गाल और ओंठ को चूमने लगी। मै उनके नग्न पीठ को सहलाने लगा तो वो मेरे छाती को चुम्बन दे रही थी। और अब मेरा हाल बेहाल हो रहा था, इसलिये मैं ज्योति दीदी से बोला।
मैं – ओह आह ज्योति मेरे लंड में खुजली हो रही है चूस ना प्लीज।
ज्योति दीदी अपना सर ऊपर करके बोली – सब खुजली ख़तम कर दूंगी चुपचाप लेटा जा बस तू।
और वो मेरे सपाट पेट से लेकर कमर तक को चूमी और फिर ज्योति दीदी ने एक तकिया मेरे गान्ड के नीचे लगा दिया। अब वो मेरे लंड को हाथ में पकड़कर हिलाते हुए मेरे गान्ड के मुहाने को जीभ से चाटने लगी। मेंरा हाल खराब था।
मैं – आह ज्योति दीदी ये क्या कर रही हो ज्योति दीदी मत चाटो मेरी गान्ड को ।
लेकिन वो मेरे गान्ड को कुछ देर तक चाटी और फिर ज्योति दीदी मुझसे बोली – अबे साले अभी तो अपनी बीबी बोल मुझे तू , दिन में ज्योति दीदी रात को बीबी।
फिर ज्योति दीदी वो मेरे जांघ को चूमने लगी, मेरा लंड तो लोहे की रोड की तरह हो चुका था। वो अब लंड के चमड़े को नीचे करके चूमने लगी, ज्योति दीदी की हरकत से साफ था कि वो चुदाई का मजा ले चुकी है। वो लंड के सुपाड़ा को अपने गाल पर रगड़ने लग गयी, और फिर अपने रसीले ओंठो पर रगड़ते हुए अपने मुंह में मेरा आधा से अधिक लंड ले लिया।

और मुंह का झटका देते हुए मुखमैथुन करने लगी, मेरा लंड अब झड़ने के करीब था और ज्योति दीदी पूरे गति से मुखमैथुन कर रही थी तो मेरे मुंह से सिसकियां निकल रही थी।
मैं – आह ओह ज्योति मेरा लन्ड मुंह से निकालो ना वरना मुंह में ही वीर्य झाड़ दूंगा।
लेकिन ज्योति मेरे लंड को चूसती रही और मेरा लंड उसकी मुंह में वीर्यपात करा दिया और वो साली रण्डी मेरे वीर्य को पीकर चेहरा ऊपर करके बोली।
ज्योति दीदी – आज पहली बार लड़की के साथ मजे कर रहे हो ?
मैं – हां लेकिन आपको कैसे पता चला ?
ज्योति दीदी – इतनी जल्दी झड़ गए, मेरे बुर की खुजली कौन मिटाएगा।
मै बेड पर से उठा और फिर ज्योति दीदी को लिटाया, उनके बुर पर मुंह लगाकर बुर से निकले रस को जीभ से चाटने लग गया। उसकी बुर के रस को कुछ देर तक चाटा और फिर दोनों वाशरूम चले गए।
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कौशल के साथ उसकी बहन ने जबरदस्ती सेक्स किया था, अलग बात है कि मुझे भी उसके नग्न जिस्म से खेलने में आनंद आया था। लेकिन सच पूछो तो मैं ज्योति दीदी की गरम जवानी को ठंडा नहीं कर पाया था, बल्कि मेरा लंड ही ठंडा पड़ चुका था।
ज्योति दीदी ज्योति २३ साल की मदमस्त जवानी है, जिसके संतरे समान स्तन देख मुंह मै पानी आ जाए। तो उसके गोल गुंबदाकार गान्ड देख लंड फन फना उठे, वो काम की मूरत है।
लेकिन उसके कपड़े हमेशा उसके पूरे तन को ढक्ती है। अगले सुबह ज्योति मुझे देख मुस्कुरा रही थी, तो मै शर्म से नजरें चुरा रहा था। रविवार होने की वजह से हम दोनों घर पर ही थे, और फिर नाश्ता करने के बाद ज्योति मेरे कमरे में आई और मुझे बोली।
ज्योति – क्या हो रहा है कौशल ?
कौशल – मैं मोबाइल में न्यूज पढ़ रहा हूं, क्यों कुछ काम है क्या ?
ज्योति – काम ही तो है कौशल, काम कला करने की इच्छा हो रही है।
कौशल – धीरे बोलो कहीं मम्मी सुन ली ना।
ज्योति- अरे पागल मम्मी और पापा अपने-अपने काम में व्यस्त है। ये कहते हुए ज्योति मेरे बिस्तर पर बैठ गई, और मेरे हाथ से मोबाइल लेकर पास के टेबल पर रख दिया।
मै ज्योति दीदी के हरकत से अचंभित था, कि आखिर मम्मी पापा के घर में होते हुए वो क्यों मुझे छेड़ रही है।
तभी ज्योति मेरे बरमूडा को कमर से नीचे खिंस्का दिया और मेरे नग्न लंड को थामकर चूमने लग गयी। बिस्तर पर लेटा हुआ ज्योति दीदी के होंठो का मजा अपने लंड पर ले रहा था।
तभी मै बेड पर अर्धरूप से बैठ गया और उसके टॉप्स को गले की ओर करके उसके नग्न बूब्स को दबाने लग गया। ज्योति मुझसे नजर मिलाते हुए लंड को अपने मुंह में ले रही थी, और उसको चूसने में मस्त थी।
मै भी उसके स्तन को मसलता हुआ मजे ले रहा था, अब वो लंड को मुंह का झटका देने लग गयी। तो मै उसके सर पर हाथ रखे अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करते हुए लंड से ज्योति के मुंह को चोदने लग गया। जबकि दूसरे हाथ से मैं उसके चूची को मसल रहा था।
कुछ देर बाद ज्योति लंड को बाहर निकाली और जीभ उस पर फेरते हुए लंड चाटने लग गयी। मेरा मूसल लंड टाईट हो चुका था और ज्योति अब सीधे बिस्तर पर बैठकर अपने टॉप्स को उतार देती है, तो उसके नग्न बूब्स को मै दबाने लगा।
ज्योति – अबे बुद्ध चूची चूस ना, इसे मसल क्यो रहा है।,साला बिल्कुल गवार कहीं का।
और ज्योति बेशर्म लड़की की तरह बेड पर लेट गई, और मै उसके बदन पर ओंध्कर चूची को मुंह में लेने लग गया। और चूची चूसते हुए दूसरे स्तन को मसलने लगा, तो वो मेरे बाल पर हाथ फेरते हुए बोली।
ज्योति – आह ओह अब दूसरी चूची चूस ना।
मै चूची निकाल कर बोला – ज्योति मम्मी पापा देख लिए तो?
ज्योति – वो दोनो दो तीन घंटे के लिए बाज़ार गए है।
अब ज्योति दीदी के दोनों जांघ के बीच घुटने के बल बैठ कर लंड का सुपाड़ा बुर में घुसाने लग गया। मैं जीवन में पहली बार चुदाई करने जा रहा था, और वो भी अपनी सगी बड़ी बहन की।
अब ज्योति के बुर ने मेरा १/२ लंड घुस चुका था, और आगे का रास्ता तंग था। तभी मैंने ज्योति के कमर को थामा और जोर का झटका बुर पर दे दिया, मेरा पूरा लंड ज्योति दीदी की चूत में चला गया, मानो किसी गद्देदार मांसाल चूत में मेरा लंड फंस गया हो। और ,तभी ज्योति चिल्ला उठी और मुझ पर चिलाती हई बोली।
ज्योति – उई मां मेरी बुर फ़ाड़ देगा क्या कमीने।
लेकिन मैं तो ज्योति को चोदने में लगा हुआ था, मैं उसके दर्द से अनजान बनकर उसको तेज गति से चोदे जा रहा था। उसको चोदते हुए मैं उसके स्तन को मसल रहा था।
मेरा लंड बुर में तेजी से आ जा रहा था और ज्योति दीदी के चेहरे पर पसीने की बूंद थी, तो वो आंखे बंद करके वो चुदाई का आनंद ले रही थी। तभी मैं ज्योति दीदी के जिस्म पर सवार होकर उन्हें तेजी से चोदने लग गया।
तो ज्योति दीदी मुझे कसकर जकड़ रखी थी, उसके बूब्स मेरे छाती से रगड़ रहे थे। और ज्योति मेरे होंठ को चूमते हुए अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करने लगी। मुझे तो ज्योति दीदी की बुर चुदाई में काफी मजा आ रहा था। और वो अपने नितम्ब को ऊपर नीचे करते हुए बोली।
ज्योति – कौशल और तेज चोदो ना मुझे अपनी रण्डी बनाकर चोदते रहो आह।
मैं अपनी ज्योति दीदी के बदन पर लेटकर गपागप लंड अंदर बाहर कर रहा था, और हम दोनों काम वासना की दुनिया में खो चुके थे। अब भाई बहन का रिश्ता लंड और बुर के मिलन में बदल चुका था, और ज्योति दीदी बेशर्म लड़की की तरह मुझसे चुद रही थी।
कुछ देर बाद उसकी बुर गरम हो गई और फिर दोनों एक ब्रेक में आराम करने लगे।
ज्योति फ्रिज से बटर का एक टिकिया लेकर आई और बेड पर कुतिया बन गई। मैं उसकी गान्ड के सामने बैठकर मख्खन को बुर पर रगड़ रहा था, फिर बुर को उंगली से फ़लकाकर बटर को बुर में घुसा दिया।
और फिर से लंड को बुर में पेलने लग गया। अब मैं ज्योति दीदी की बुर में लंड पेलकर तेज चुदाई कर रहा था, तो ज्योति भी अपनी गान्ड को हिलाने लग गयी। मेरा लंड आज देर तक बुर में टिका हुआ था।
तभी ज्योति दीदी के चिकने बुर में लंड तेज गति से दौड़ लगा रहा था , जिससे वो सिसकने लगी और बाली।
ज्योति – ओह ऊं आह और तेज चोद अबे कुत्ते बहन को चोद कर रण्डी बना दे और जोर लगा कर चोद मुझे।
लेकिन लंड की क्या औकात, उसको तो बुर ने में झड़ना ही है जबकि लड़की जात का क्या, वो कितने भी लंड से चुद सकती है।
मै ज्योति की बुर को चोदता हुआ मस्त था तो ज्योति दीदी चूतड़ आगे पीछे करते हुए चुदाई के मजे को बढ़ा रही थी। पिछले ७-८ मिनट से ज्योति दीदी की बुर को चोदता हुआ उसके बूब्स को दबा रहा था, तो वो सिसकने लगी और बोली।
ज्योति – अबे चोदु बुर आग की भट्टी हो चुकी है, कब अपना माल झाड़कर बुर को ठंडा करेगा अब तू?
मैं – अबे रण्डी थोडा धैर्य रख, अभी तो बुर चुदाई का प्रारंभ की है मैने साली।
ज्योति गान्ड हिलाते हुए बोली – अब तो तेरे से रोजाना चूदुंगी मैं मेरे राजम
मेरा लंड बुर की आग में जल रहा था मैं बोला – तू और कितनो से चुद चुकी है ?
ज्योति – अबे हारामी चोदने दे दिया, तो तू क्या समझ रहा है मुझे। कितने लड़के मेरी गान्ड के पीछे घूमते है, पर आज तक किसी को हाथ तक लगाने नहीं दिया।
अब मेरा लंड लोहे की सलाख की तरह कड़ा और गरम हो चुका था, और कुछ देर बाद मैं बोला – ले बे रण्डी ,अब मेरे लंड का वीर्य अपनी बुर को पीला।
ज्योति – जरूर मेरे बुर से भी पानी आने वाला है।
और मेरे लंड से वीर्य बुर में गिरने लगा गया और उसकी चूत भी पणिया गई, मै लंड को बुर से निकाला लेकिन ज्योति रण्डी उसको चूसकर वीर्य का स्वाद लेने लग गयी।




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