प्यारी बहना की चुदास बुझाई - 3 - Bahan Bhai Family Sex Story
प्यारी बहना की चुदास बुझाई - 2
ज्योति मेरे बाल को कसकर पकड़ रही थी और और वो बोल रही थी।
ज्योति दीदी – उह आह सतीश इतनी गुदगुदी बुर में दिन में ही चोदोगे क्या मुझे आज?
उनकी चूत को मैं जींभ से एक कुत्ते की तरह कुरेद रहा था, और वो सिसक रही थी। अब मेरा लंड बरमूडा से निकलने को आतुर था।
तभी मैंने ज्योति की बुर को मुंह में लेकर पल भर तक चुभलाया, और उसके कमर को थामकर मैं उसकी बुर को चूसता रहा। मुझे काफी मजा आ रहा था, तभी उस रण्डी ने मेरे चेहरे को पीछे की ओर धकेला और अपनी बुर को मुझसे स्वतंत्र कर लिया।
ज्योति की बुर चमक रही थी और वो अब मुझे बेड पर लिटा कर, मेरा बरमूडा खोलने लग गयी। फिर वो उठकर अपने कमरे का दरवाजा लगा कर आई। मेरे लंड को थामकर वो झुकी और मेरे लंड पर चुम्बन देने लगी।
मेरे लंड का गरम चमड़ा खींच कर, वो अपने होंठो से लंड को चूम रही थी।
मेरा हाथ ज्योति दीदी की चूची को दबाने लग गए ऐसा लग रहा था, मानो कोई दूध से भरी थैली हो। वो अब मेरे लंड का सुपाड़ा अपने नाक से लगाकर सुघ्ने लगी, तो मै जोर जोर से स्तन दबाने लग गया।
ज्योति दीदी की मुख से आह ओह उह ऊं शब्द निकल रहे थे।
तो वो अपना मुंह खोलकर पूरा लंड अंदर घुसा लेती। अब मुंह को बंद करके लंड चूसने लग गयी। लेकिन उसका सर स्थिर था और मै उसकी चूची को दबाता हुआ बोला।
मैं – आह बहुत मजा आ रहा है, जानू अब मुंह का झटका तो दे दो।
और ज्योति की नज़र मुझसे लड़ी ,मानो वो काम की मूर्ति हो। तभी वो अपने मुंह का झटका मेरे लंड पर देने लगी, मेरा लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। किसी लोहे कि सलाख की तरह, उसके गरम मुंह में पड़ा था।
कुछ देर बाद ज्योति मेरे लंड को मुंह से निकालती और उस पर अपनी लम्बी जीभ फेरने लग जाती।
वो मेरे लंड को बिल्कुल आईसक्रीम की तरह चाट रही थी, फिर वो दुबारा मेरे लंड को मुंह में ले कर और मुखमैथुन करने लगी। तो मेरा हाल खराब होने लग गया था।
मैं – अब बस भी करो रण्डी मेरे लंड का माल पीकर ही दम लेगी क्या?
लेकिन ज्योति कुछ देर तक चूसती रही, और फिर में वाशरूम भागा और पिसाब्ब करके वापस आया। तो मैंने देखा ज्योति बेड पर बैठी हुई थी।
अब उसने मुझे बेड पर धकेल दिया, तो अब मैं बेड पर लेटा हुआ था। ज्योति अब मेरे मुंह के ऊपर अपने चूत्तर रख कर मुझे बुर चाटने का न्योता दिया।
उसके दोनों पैर दो दिशा में थे, तो मेरे मुंह से २-३ इंच की दूरी पर उसकी बुर थी। तभी मै उसकी कमर को थामा सिर को ऊपर कि ओर किया, और बुर चूमने लग गया।
लेकिन ज्योति अपनी उंगली की मदद से बुर को फैला रही थी, और मेरी जीभ उसकी चूत चाटने लग गया। ये मेरे लिये एक अनोखा आनंद था।
जब मेरे मुंह के ऊपर ज्योति दीदी चुतर को करके बुर चटवा रही थी, मेरा जीभ उसकी बुर को लपालप चोद रही थी।
ज्योति दीदी – आह ओह हाई रे बुर चाट मेरी।
और मै जीभ से ज्योति दीदी की चूत को चोदता चूसता रहा, फिर कुछ पल बाद ज्योति दीदी चिंख पड़ी।
ज्योति दीदी – ओह अब चूस ना साले मुंह में लेकर पानी पीने को मिलेगा तुझे।
और मै उसकी चूत के गद्देदार फांक को मुंह में लिया, और फिर बुर का पानी मुंह में आने लग गया। ज्योति दीदी की चूत का पानी काफी स्वादिष्ट था। मेरा लंड अब मूसल लंड हो चुका था, लेकिन ज्योति के अनुसार चुदाई नहीं करनी थी।
इसलिए मैंने ज्योति दीदी को बेड पर सुलाया और उसके स्तन को पकड़कर मुंह में भर लिया। मैं ज्योति दीदी की चूची को चूसता हुआ, उनका दूसरा स्तन मसल रहा था। और वो अपने छाती से मुझे लगाकर, मुझे अपना दूध पीला रही थी।
ज्योति दीदी – उह आह ओह अब बुर चोदो.
ये सुनकर मै दुसरी चूची को चूसा और फिर ज्योति दीदी को कुतिया की तरह बिस्तर पर कर दिया।
मैं ज्योति की गांड़ के सामने लंड पकड़ बैठा था, और फिर लंड का सुपाड़ा बुर में पेल कर कमर पकड़ कर मै घुटने के बल बैठ गया। और ज्योति की टाईट चूत में मेरा २/३ लंड घुसने के बाद ऐसा लग रहा था मानो लंड अंदर फस गया।
तो मैंने थोड़ा सा लंड बाहर खींचा और और जोर का धक्का उस मादरचोद रण्डी की बुर में दे दिया। तो अब मेरा पूरा लंड बुर के अंदर था, और मै तेज गति से ज्योति दीदी कि बुर चोद रहा था। मेरा शेर बुर में दौड़ लगा रहा था।
अब मै ज्योति दीदी की रसीली चूत को चोदकर झूमने लग गया। ज्योति अब पीछे मुड़कर देख कर मुझे आंख मारी, तो मै उसकी बुर को पूरी ताकत और गति से चोदने लग गया।
अब धीरे धीरे उसकी रसीली चूत गरम होने लगी, और वो बोली।
ज्योति दीदी – आह ऊं उह सतीश बहुत मजा आ रहा है चोदते रहो।
और मै उसके सीने से लगे स्तन को दबाता हुआ मजा ले रहा था।
७-८ मिनट से ज्योति की बुर को चोद रहा था और फिर कुछ देर बाद में मेरा माल झड़ने की ओर था। तो चुदाई की गति को तेज कर दिया, और ज्योति अपने कमर केको स्प्रिंग की तरह आगे पीछे करने लगी।
वो चुदाई के मजे को डबल कर रही थी और बोली।
ज्योति दीदी – वाह सतीश तुम तो अब चोदने मे एक्स्पर्ट को चुके हो। मेरी बुर में अब लहर आ रही है, तुम अब अपना माल झाड़ दो।
मैं – जरूर मेरी रानी तेरी बुर चोद चोद कर तो मेरा लंड काफी मोटा होने लगा है।
मै अब चुदाई के अंतिम पड़ाव पर था और ज्योति भी गान्ड हिला हिला कर झूम रही थी। अब मेरे लंड से वीर्य गिरना शुरू हुआ।
मैं – आह उह ये लो बे रण्डी अपनी बुर को वीर्य पीला।
मेरे लंड से वीर्य की तेज धार ज्योति की बुर में निकलने लग गयी। अब बुर से बाहर भी रस आने लग गया। मै लंड को बुर से बाहर निकाला, तो ज्योति अपने मुंह में मेरा लंड लेकर चूसने लगी और वीर्य का स्वाद चखने लग गयी।
दोनों अब बारी बारी से वाशरूम गए और अपने गुप्तांग को साफ करके वापस कमरे में आए। फिर मै अपना बरमूडा और गंजी पहना और ज्योति दीदी अपने टॉप्स और स्कर्ट को पहन ली।
फिर मै उसके कमरे से बाहर निकल गया।
आज सुबह जब ज्योति दीदी कॉलेज के लिए तैयार हो रही थी, तभी मै उनके कमरे में जाकर उसे बोला।
मै – मुझे भी आज कॉलेज जाना है, साथ चलोगी?
ज्योति – ओह तो कौन सा ड्रेस पहनूं आज मैं?
सतीश – जो तुम्हे आरामदायक लगे।
और वो मेरे इशारे को समझ गई, फिर दोनों कालेज के बहाने घर से निकले और ज्योति मेरे बाईक के पिछले सीट पर बैठ गई। वो दोनो पैर को एक ही दिशा में करके मेरे कंधे पर हाथ रखे अपने स्तन को पीठ पर से सटा कर बैठी थी।
उसका दूसरा हाथ मेरी कमर पर था, मै बाईक तेजी से चला रहा था। तो ज्योति जानबूझ कर मेरे पीठ से अपने चूची को दबाने लगी, और मै उसकी इस हरकत से मस्त हो रहा था। कुछ देर के बाद हम दोनो कानपुर के बाहरी इलाके में पहुंच गए।
फिर मै ज्योति दीदी को एक होटल में लेकर गया, ये जगह कानपुर दिल्ली हाईवे पर है। और होटल में जगह ३-४ घंटे के लिए भी मिल जाता है। होटल के अतिथि कक्ष पहुंचा और एक वातानुकूलित कमरा शाम तक के लिए मैंने लिया था।
ज्योति दीदी थोड़ी संकोच में थी, लेकिन फिर हम दोनों कमरे में दाखिल हो गए। बाद में मैंने होटल स्टाफ को बुलाया और कुछ सामान ऑर्डर किया, एक छोटे से कमरे में हम दोनों बेड पर बैठे हुए थे।
वक्त सुबह का १०:३५ हो रहा था और जब लड़का कुछ सामान देकर चला गया। तब मैंने दरवाजा बंद किया, ज्योति बेड के किनारे बैठी थी और मै उसके सामने खड़ा था। तो उसने मेरे लंड के उभार को पकड लिया।
मैं – आउच इतने जोर से मात दाबाओ यार।
ज्योति मेरी जींस खोलने लगी और वो बोली – साले बहुत फड़फड़ा रहा है आज मैं तुझे बताती हूं।
सतीश – इतनी गर्मी है तो आज होटल के स्टाफ को भी तेरे चुदाई की दावत देनी होगी।
फिर ज्योति मेरी जींस को खोल दी और फिर वो भी खड़ी हो गई, वो मेरे सीने से चिपक कर मुझे चूमने लग गयी। तो मेरा हाथ उसके चूतड़ पर फिसलने लग गया, अब मेरी ज्योति दीदी मुझे कसकर पकड़ रही थी।
और वो मेरे ओंठो को मुंह में भरकर चूस रही थी, मेरे छाती को उसके गुदाज चूची का एहसास मिलने लग गया था। और वो मेरे जीभ को चूसते हुए मुझसे लिपट कर खड़ी थी। अब मेरा लंड खड़ा हो गया था।
और मेरा हाथ ज्योति की कमर पर आ गया था, तो मैंने ज्योति दीदी की स्कर्ट को नीचे की ओर खींच दिया। अब उनकी स्कर्ट ज्योति की जांघों तक जा पहुंची थी, फिर हम दोनों गरम होने लग गये, अब मै अपना होंठ उनके मुंह से निकाल लिए।
तो ज्योति अपना पूरा मुँह खोल लिया, ज्योति के इशारे को समझते हुए मैंने उसके मुंह में अपनी पूरी जीभ घुसा दी। और वो मेरे जीभ को चूसते हुए मेरे चूतड़ को सहला रही थी, मुझे ज्योति दीदी की चिकनी गान्ड का स्पर्श मिलने लग गया।
हम दोनों एक दूसरे की बाहों में समाए मजे ले रहे थे, फिर मेरा हाथ ज्योति दीदी की पेंटी की हुक को पकड़ने लग गया था और अंततः ज्योति की पेंटी और मेरा कच्छा खुल चुका था।
ज्योति अब मेरे जीभ को छोड़ दिया, और अब वो बेड के बीचोबीच आ गयी। तभी ज्योति मेरे शर्ट उतारने लग गयी, तो मैने उसके टॉप्स और ब्रेसियर को उतार दिया। अब हम दोनों पूर्णतः नग्न हो गये थे
तो ज्योति मेरे लंड को पकड़ कर बोली – क्या समान मंगवाया था?
सतीश – बियर और सिगरेट पियोगी क्या?
ज्योति – हाँ क्यों नहीं, जब तेरा सिगार मुंह में ले सकती हूं तो फिर उसमे क्या दिक्कत है?
और फिर मैंने बियर का एक केन खोला और हम दोनों एक ही केन से पीने लग गये। मैने सिगरेट जलाकर उसको केन थामया और दूसरा केन खोलने लग गया। अब दोनों बियर पीते हुए मस्त थे तो ज्योति दीदी मुझे सिगरेट पीने को दी और वो मेरे लंड को थामकर हिलाने लग गयी।
कुछ देर बाद बियर का केन खाली हुई, अब ज्योति ने मुझे बेड पर धकेल दिया। और वो बड़ी बहन की तरह खुद ही अपनी हरकत करने लग गयी, मै बेड पर टांग सीधे किए लेटा हुआ था। तो ज्योति मेरे बदन पर सवार हो गई, वो अपने चेहरे को मेरे लंड की ओर करने लग गयी।
फिर उसने अपनी गान्ड को मेरे चेहरे के ऊपर रख दी, अब उसके दोनों पैर दो दिशा में थे। तो ज्योति दीदी मानो मेरे ऊपर कुतिया बन गयी थी। मैने ज्योति दीदी की चूत का दीदार किया और उसके चूतड़ को सहलाने लग गया।
मैं उसकी बुर पर होंठ लगाने लगा, और बुर को चूमता हुआ मस्त होने लग गया। ज्योति मेरे लंड के चमड़े को खींचकर सुपाड़ा को अपने ओंठो पर रगड़ रही थी। तभी ज्योति की बुर को चूमकर मैंने अपनी उंगली की मदद से बुर के छेद को फैलाया।
अब मैंने सर को थोड़ा ऊपर किया, और मैंने ज्योति दीदी की कमर को कसकर पकड़ रखा था। फिर मैंने बुर में जीभ घुसा दी, और मैं बुर चाटने लगा गया।
तो ज्योति दीदी मेरे लंड के २/३ हिस्से को अपने मुंह में भरकर चूस रही थी, दोनों काम क्रिया में लीन थे। ज्योति दीदी अब अपने सर का झटका लंड पर दे देकर मुखमैथुन करने लगी, तो मै भी ज्योति की बुर को कुते की तरह लपालप चाटने लग गया।
कमरे में दोनों की मधुर सिसकने की आवाज ‘’आह और चूसो बे रण्डी उह ऊं आह चाट बे कुत्ते।” ऐसी मस्त आवाज आ रही थी। और फिर मैने ज्योति की बुर को चाटना छोड़ दिया, तो ज्योति दीदी मेरे लंड को जीभ से चाटने लग गयी।
अब मेरा बदन पूरी तरह से गरम हो गया था, तो लंड भी लोहे की गरम सलाख बन चुका था। अब सिर्फ चुदाई बाकी थी, पल भर बाद ज्योति मेरे बदन पर से उतर कर वाशरूम भागी। तो मै भी अंदर घुस गया, मैंने देखा कि वो बैठ कर मुत रही थी।
तो मैने भी पेशाब किया और हम दोनों बेड पर आ गए। ज्योति अब बिस्तर पर लेट गई तो मै उसके दोनों पैर को दो दिशा में करके बुर को निहारने लग गया। उसकी बुर की चमक के साथ दर्रार स्पष्ट दिख रही थी।
तो मै अब उसके दोनों जांघों के बीच लंड थामे बैठा हुआ था, फिर मैंने एक तकिया उसकी गान्ड के नीचे डाल दिया। अब बुर और लंड एक दूसरे को निहार रहे थे, तो मै लंड के सुपाडे को बुर में घुसाने लग गया।
ज्योति की चूत गरम और सुखी थी, तो धीरे धीरे आधा लंड बुर में मैंने पेबस्त कर दिया। फिर मैंने ज्योति की कमर को थामा, और मैंने एक जोर का झटका बुर में दे दिया। तो मेरा लंड बुर को चीरता हुआ अंदर चला गया, और उसकी चिंक्ख और वो बोली।
ज्योति – उई मां बुर का भर्ता करेगा क्या बे साले कुत्ते आराम से कर ना।
सतीश ने अग्ला धक्का दिया और वो बोला – जरूर बे रण्डी तेरी बुर को तो मै आज गुफा बना दूंगा।
अब मेरा लंड गरम बुर में चिकने पथ पर दौड़ लगाने लगा गया, तो ज्योति की आंखें बंद हो गयी थी। फिर मैं उसकी एक चूची को मसलता हुआ मस्त था, करीब ३-४ मिनट तक चोदने के बाद ज्योति चिल्ला उठी।
ज्योति – हाई अबे मादरचोद जोर से चोद ना पानी आने वाला है।
अब मेरा लंड पूरी गति से बुर को चोद रहा था, कुछ धक्के के बाद उसकी बुर रस फेंकने लग गयी। और अब गीली बुर को चोदने में “फच फचा फाच “की आवाज आ रही थी। फिर मैंने ज्योति दीदी की बुर में से लंड निकाल लिया।
तकरीबन ०९:२५ सुबह हम दोनों घर से निकले, कालेज तो बहाना था। लेकिन हमारी मंजिल कुछ और थी। सो ज्योति मेरे बाईक पर बैठ गई, उसके दोनों पैर एक ही दिशा में थे। तो वो अपना एक हाथ मेरे कंधे पर, और दूसरा हाथ मेरे कमर पर रखे हुई थी।
मै उसके गोल चूची के स्पर्श से मस्त हो रहा था, और मैं बाईक को तेज गति से विजय नगर चौराहा तक ले आया। वहां मैं कुछ खरीदने के लिए रुका, लेकिन ज्योति मेरे बाईक के पास ही खड़ी थी।
कुछ देर बाद वापस आकर मैंने सामान बाईक की डिक्की में रखा, और फिर ज्योति दीदी बाईक के पिछले सीट पर बैठ गई। वो जानबूझकर अपने दाहिने स्तन को मेरे पीठ से दबा रही थी, और जब बाईक तेज रफ्तार से दिल्ली कानपुर मार्ग पर दौड़ लगाने लगी।
तो ज्योति ने मुझसे पूछा – क्या दिल्ली ले जाने का विचार है?
सतीश – हां आखिर कुतुबमीनार भी तो दिखाना है मैंने आपको आज।
ज्योति – सब समझती हूं, तुझे भी भृतहरी का गुफा दिखनी है।
और मै ज्योति को आज दिनभर चोदने के फिराक में था, इसलिए मैंने हाईवे के किनारे एक होटल को चुना था। दोस्तों से मालूम हुआ था, कि इस होटल में धांधे वाली तो मिलती ही है और साथ में होटल का कमरा मौज मस्ती के लिए भी मिल जाता है।
इसलिए मैं ज्योति को वहीं ले जाने के चक्कर में था, तकरीबन १०:४५ बजे हम दोनों इस होटल के पास पहुंचे और फिर वो बोली।
ज्योति – यहां रूम देगा कोई हमे?
सतीश – हां, लेकिन अपना मुंह बंद रखना।
फिर मै ज्योति को लेकर साथ में एक छोटे सा बैग लिए अंदर पहुंचे, वहां एक उमरदार आदमी था और वो हमे देख कर मैं बोला।
आदमी – एक कमरा चाहिए सर।
सतीश – हां शाम तक के लिए और वातानुकूलित।
फिर हमे एक कमरा भी मिल गया और ज्योति को लेकर मै कमरे के अंदर चला गया। एक लड़का पानी की बोतल लेकर आया और फिर दरवाजा सटाकर चला गया। मैने दरवाजा को बंद किया और ज्योति को अपने बदन से लग गया लिया।
मैं उसके गाल को चूमता हुआ, अपना हाथ उसके चूतड़ पर घुमा रहा था। तो ज्योति मुझे से चिपक कर खड़ी हो गयी। कमरा में एक बड़ा सा बेड लग गया हुआ था, और उसके साथ वाशरूम भी था।
अब दोनों खड़े खड़े एक दूसरे को चूम रहे थे, तो मेरा मुंह ज्योति दीदी के रसीले होंठो को अंदर ले कर उसका रस अपने होंठ में भरकर चूसता रहा था होंठ ज्योति दीदी मेरा पूरा साथ दे रही थी, और उसकी बूब्स मेरे छाती से चिपके हुये थे।
पल भर बाद ज्योति अपने होंठ को मेरे मुंह से बाहर निकल लिया, और फिर उसने अपनी लम्बी सी जीभ को मेरे मुंह में भर दी ओंठो तो मै ज्योति की जीभ को चूसता हुआ, उसके चूतड़ को सहलाने लग गया।
अब मेरा हाथ उसकी कमर पर था और मैं स्कर्ट को नीचे करने लग गया। हम दोनों एक दूसरे की आगोश में समाने लग गये, और फिर मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। ज्योति की आंखें बंद थी, और हम दोनों की सांसे तेज चल रही थी।
फिर हम दोनों का हाथ एक दूसरे के बदन पर फिसल रहे थे, और ज्योति मेरे चेहरे को पीछे करके अपनी जीभ बाहर निकाल रही थी। ज्योति अपना सर मेरे कंधे पर रख रही थी, तो मै उसका स्कर्ट नीचे तक कर चुका था।
अब मैं ज्योति की मखमली चूतड़ पर हाथ फेरने लग गया था, तो ज्योति मेरे शर्ट को खोलने लग गयी। मै उसके टॉप्स को उसकी बाहों से बाहर कर दिया और ज्योति अपने गुलाबी रंग के ब्रा और पेंटी में मस्त माल दिख रही थी।
वो मेरे कच्छा को छोड़कर सारे कपडे निकाल दिए, और फिर मैने ज्योति दीदी को बेड के किनारे पर बिठाया। ज्योति अपने दोनो पैर ऊपर करके बैठी थी, तो मै उसके पैर को दो दिशा में किए जमीन पर बैठ गया।
अब ज्योति दीदी अपने चूतड़ को बेड के किनारे कर दिए, तो मै उसकी पैंटी पर नाक रगड़ता हुआ उसके स्तन को मसलने लग गया। और वो सिसकने लग गयी उह आह ऊं और फिर मैं उसकी पेंटी खोल कर उसकी चूत को चाटने लग गया।
अब मैं ज्योति की लालिमा लिए चूत को चूमने लग गया, वो अपनी उंगली से बुर के मुहाने को खोल रही थी।
मै बुर के ऊपरी सतह को चूमकर बुर में अपना जीभ उसमे घुसा रहा था। फिर मैं कुत्ते की तरह बुर को लपालप चाटने लग गया, वो मेरे बाल को कसकर पकड़ रही थी।
ज्योति – हाई री बुर चट्टा और तेजी से चोद ना।
मै बुर में जीभ फेर कर मस्त हो रहा था, लंड तो कच्छा में दहाड़ मार रहा था। तभी मै ज्योति दीदी की बुर के मांस्ल भाग को मुंह में लेकर लेमं चुस की तरह चूसने लग गया।
ज्योति – अबे कुत्ते साले लंड में जान नहीं है क्या जो तू जीभ से ही मेरी बुर को चोद रहा है?
और फिर मै ज्योति की बुर को छोड़कर वाशरूम भागा, वहां मैंने जल्दी से पेशाब किया और फिर लंड धोकर रूम में आ गया
अब ज्योति दीदी बेड पर सो गई थी, तो मैने बैग से बियर की बोतल निकाली।
और मैंने पास पड़े टेबल पर बोतल रखी, फिर मैंने दो ग्लास में बियर डालकर सिगरेट जालाया तो ज्योति दीदी बोली।
ज्योति – क्या अकेले अकेले बियर पिएगा?
सतीश – नहीं, तेरे ग्लास में बियर में मुतुंगा और तुमको पिलाऊंगा।
ये सुनते ही वो मेरे पास आकर कुर्सी पर बैठ गई और मेरे लंड को थाम कर बोली।
ज्योति – तो तू मेरी ग्लास में मूत और मै तेरी ग्लास में बोल पिएगा?
और फिर ज्योति दीदी के साथ बियर पीने लग गया, थोड़ा ग्लास खाली हुआ तो ज्योति दीदी अपना ग्लास मुझे थमा दिया। और फिर मैंने उसका ग्लास ले लिया, अब ज्योति दीदी अपनी बुर के सामने मेरा ग्लास लगाकर मूतने लग गयी।
तो मै जबरदस्ती ज्योति दीदी की ग्लास में थोड़ा सा पिशाब कर पाया। अब ग्लास की अदला बदली हुई और मै ज्योति दीदी से नजर मिलाते हुए बियर सहित मुत्रपान करने लग गया।
बियर का स्वाद अधिक नमकीन हो चुका था, चूंकि ज्योति दीदी अधिक मात्रा में मुती थी। लेकिन वो बियर पीते हुए बोली।
ज्योति – स्वाद में फर्क आया लेकिन तुम मुते ही नहीं।
सतीश – हां जान लेकिन तेरी बुर से निकला स्वादिष्ट मूत्र मेरा नशा बढ़ा रहा है।
फिर हम दोनों बियर पीकर बेड पर आए। मै अब बेड पर लेटा हुआ था, तो ज्योति मेरे लंड को थामे लंड पर होंठ सटाने लग गयी। मेरे लंड का चमड़ा खींचकर वो चुंबन दे रही थी।
ज्योति की आंखों में नशा था और बियर का नशा उसको मदहोश कर चुका था। इसलिए वो मेरे सुपाड़ा को थामे अपने चेहरे पर रगड़ने लगी।
फिर वो मुंह खोलकर लंड को अन्दर लेने लग गयी, मुझसे नजर मिलाते हुए ज्योति मेरे लंड को चूस रही थी। वो अपने मुंह का तेज झटका लंड को दे देकर मुझे पागल कर रही थी, और फिर मैं बोला।
मैं – उई आह और तेज चूस ना साली रण्डी तेरी मां को चोदकर ना रुला ना दिया तो कहना।
ज्योति कुछ पल मुखमैथुन करती रही, और मै उसके चूचक को पकड़ कर मसलने लग गया। हम दोनों मजे ले रहे थे, ज्योति मेरा लंड मुंह से निकालने का नाम ही नहीं ले रही थी।
तो मै भी ज्योति दीदी की मुंह को नीचे से ही चोदने लग गया, फिर ज्योति ने मेरे रसीले लंड को बाहर निकाला। अब ज्योति और सतीश गरम हो चुके थे, तो मैने ज्योति को बेड पर सुला दिया।
वो रांड़ की तरह टांग चिहारकर पसरी रही, तो मै लंड थामे उसके दोनों जांघों के बीच बैठा और धीरे से सुपाड़ा सहित आधा लंड बुर में घुसा दिया।
उसकी बुर गीली हो चुकी थी और मैने एक तेज धक्का उसकी बुर में दे मारा। फिर उसकी कमर को पकड़ कर, मैं उसे चोदने लग गया।
ज्योति दीदी अब अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करते हुए चुद रही थी, तो मै ज्योति के जिस्म पर सवार हो गया। और मैं दे दना दन उसे चोदने लग गया, तो ज्योति मेरे कमर को थामकर अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करने लग गयी।
वो एक कुंवारी लड़की थी, लेकिन वो बुर का सील तुड़वा चुकी है। अब मै उसके होंठो को चूमने लग गया, तो उसका स्तन मेरे छाती से रगड़ खा रहा था।
दोनों संभोग सुख का रहे थे, और ८-९ मिनट की चुदाई के बाद उसकी चूत आग की भट्टी लग रही थी। तो मेरा लंड अब झड़ने को आतुर हो गया था। फिर वो अपने चूतड़ हिलाते हुए बोली।
ज्योति – अब बस कर भाई बुर में अपना पानी झाड़ दे।
सतीश – चुप कर रण्डी अभी और चुद।
लेकिन अगले ३-४ मिनट के बाद, मेरे लंड बुर में दम तोड दिया। और रण्डी ने मेरा लंड चूसकर वीर्य का स्वाद लिया।
प्यारी बहना की चुदास बुझाई - 4